📍नई दिल्ली | 1 month ago
Rafale Assembly Line India: भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग लगातार मजबूत होता जा रहा है। राफेल लड़ाकू विमानों को लेकर दोनों देशों के बीच एक नई और महत्वपूर्ण डील लगभग तय हो चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत की नौसेना के लिए 26 राफेल एम (Rafale-M) लड़ाकू विमानों की डील करीब 7.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की होगी। इसके अलावा, फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) भारत में ही राफेल की फाइनल असेंबली लाइन (Final Assembly Line) खोलने की योजना बना रही है। इस कदम से भारत के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूती मिलेगी और भविष्य में राफेल विमानों का उत्पादन भारत में ही संभव हो सकता है।
Rafale Assembly Line India: क्या कहा दसॉ एविएशन के सीईओ ने
L’Usine Nouvelle की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस की रक्षा कंपनी दसॉ एविएशन भारत में राफेल फाइटर जेट्स की फाइनल असेंबली लाइन शुरू करने पर विचार कर रही है। इसका मकसद भविष्य में मिलने वाले बड़े ऑर्डर्स को पूरा करना और उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा, “भारत बड़े ऑर्डर्स की तैयारी कर रहा है, और हम निश्चित रूप से भारत में एक फाइनल असेंबली लाइन खोलने पर विचार कर रहे हैं ताकि इस नए वर्कलोड को संभाल सकें।” दरअसल दसॉ की नजर भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रोग्राम के तहत 114 फाइटर जेट्स की खरीद की जानी है। दसॉ को उम्मीद है कि उसे ये बड़ा ऑर्डर मिल सकता है।
दसॉ राफेल फाइटर जेट का प्रोडक्शन बढ़ाने की प्रक्रिया में है, जिसमें हर महीने दो विमानों से बढ़ाकर तीन विमान किया जा रहा है। कंपनी का लक्ष्य हर महीने चार विमान तक पहुंचना है, और भविष्य के ऑर्डरों को देखते हुए हर महीने पांच विमान बनने की भी योजना है।
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Rafale Assembly Line India: दसॉ को बनाने हैं 230 राफेल
दसॉ एविएशन को उम्मीद है कि उसे भारत से और ऑर्डर मिल सकते हैं। 2023 में 13 राफेल विमानों की डिलीवरी हुई, जो 2024 में बढ़कर 21 हो गई और 2025 के लिए लक्ष्य 25 है। दसॉ की ऑर्डर बुक में 230 राफेल शामिल हैं, जिसमें 164 एक्सपोर्ट के लिए और 56 फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स के लिए हैं। 2024 में, कंपनी ने 8.3 अरब यूरो (705.5 अरब भारतीय रुपये) के मिलिट्री कॉन्ट्रैक्ट मिले थे, जो कि 2023 में 6.5 अरब यूरो (552.5 अरब भारतीय रुपये) थे। इन कॉन्ट्रैक्ट में सर्बिया से 12 विमान और इंडोनेशिया से 18 विमान के ऑर्डर शामिल हैं। दसॉ के मिलिट्री एयरक्राफ्ट का कुल बैकलॉग, जिसमें राफेल और फाल्कन जेट शामिल हैं, 43.2 अरब यूरो (3672 अरब भारतीय रुपये) तक पहुंच गया है, जो 2023 में 38.5 अरब यूरो (3272.5 अरब भारतीय रुपये) था।
Rafale Assembly Line India: भारत के लिए क्यों अहम है यह डील
भारत ने 2016 में 36 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया था, जिसकी डिलीवरी 2022 तक पूरी हो गई। अब भारतीय नौसेना को पुराने हो चुके मिग-29के (MiG-29K) लड़ाकू विमानों को बदलने के लिए नए और अत्याधुनिक राफेल एम (Rafale Marine) की जरूरत है। भारतीय नौसेना के MRCBF (Multi-Role Carrier-Borne Fighters) प्रोग्राम के तहत राफेल एम विमान भारत के दो प्रमुख एयरक्राफ्ट कैरियर—आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) और आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) पर तैनात किए जाएंगे।
भारतीय नौसेना वर्तमान में मिग-29के लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इन विमानों के साथ कई तकनीकी समस्याएं सामने आई हैं। इनमें से कई विमान तकनीकी खराबियों और स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण लंबे समय तक ग्राउंडेड रहे हैं। इसके विपरीत, राफेल एम एक आधुनिक, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, जिसे कई देशों की नौसेनाएं पहले से ही इस्तेमाल कर रही हैं।
राफेल एम को खासतौर पर समुद्री अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। यह विमान कैटापल्ट असिस्टेड टेक-ऑफ और अरेस्टेड लैंडिंग की क्षमता रखता है, जिससे इसे एयरक्राफ्ट कैरियर पर ऑपरेशन में आसानी होती है। इसके अलावा, इसमें मजबूत लैंडिंग गियर और एयरफ्रेम होते हैं।
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भारत ने राफेल लड़ाकू विमानों में अस्त्रा Mk1 मिसाइल को भी इंटीग्रेट किया है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने हाई एल्टीट्यूड इलाकों में भी राफेल से उड़ान भरी है। ट्रायल के दौरान, राफेल ने 16.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद सिमुलेटेड टोही गुब्बारों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया है।
इन खास फीचर्स से लैस है राफेल
4.5 पीढ़ी वाला मल्टीरोल फाइटरजेट राफेल एक अत्याधुनिक M88 टर्बोफैन ट्विन-इंजन, कनार्ड डेल्टा विंग, मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जिसे दसॉ एविएशन खासतौर पर एयर सुपीरियरिटी, डीप स्ट्राइक, टोही (रिकॉनेनेसेंस) और परमाणु हमलों जैसी क्षमताओं के लिए डिजाइन किया गया है। राफेल आधुनिकतम थेल्स RBE2 AESA रडार और SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट से लैस है, जो इसे दुश्मन आसानी से पकड़ नहीं पाता है। इसके अलावा, राफेल इज़रायली हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले सिस्टम, मेटियोर गाइडेड मिसाइलों और MICA एयर-टू-एयर मिसाइल, SCALP क्रूज मिसाइल (500 किलोमीटर दूर से निशाना) और Exocet एंटी-शिप मिसाइल जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस है। साथ ही उनमें 10 घंटे की डेटा स्टोरेज क्षमता वाला फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, इन्फ्रारेड टार्गेट एक्विजिशन और ट्रैकिंग सिस्टम (जो रात या खराब मौसम में भी दुश्मन के लक्ष्यों का पता लगा सकता है), कोल्ड वेदर इंजन स्टार्टर (जो ठंडे मौसम में भी विमान के इंजन को सुचारू रूप से शुरू करता है) जैसे खास फीचर्स से भी लैस है।
राफेल की मैक्सिमम स्पीड 1.8 मैक, और कॉम्बैट रेंज 1,850 किलोमीटर है, और यह मैक 1.4 पर बिना आफ्टरबर्नर के लगातार सुपरक्रूज़ कर सकता है।
कब हो सकता है राफेल एम का सौदा
राफेल एम सौदे की आधिकारिक घोषणा अप्रैल 2025 में फ्रांस के रक्षा मंत्री की भारत यात्रा के दौरान होने की उम्मीद है। 7.6 बिलियन डॉलर (6.32 लाख करोड़ रुपये) के इस सौदे में 22 राफेल एम लड़ाकू विमान और टू सीटर 4 ट्रेनर वेरिएंट शामिल होंगे, जिनका इस्तेमाल वायुसेना और नौसेना के पायलटों को ट्रेनिंग देने के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, भारत और फ्रांस संयुक्त रूप से एडवांस एवियोनिक्स और मिसाइल सिस्टम पर भी काम कर सकते हैं। यह विमान भारतीय नौसेना के मौजूदा MiG-29K बेड़े को बदलने के लिए खरीदे जा रहे हैं, जो INAS 300 व्हाइट टाइगर्स और INAS 303 ब्लैक पैंथर्स स्क्वाड्रन के तहत ऑपरेट होते हैं। वहीं नए राफेल एम फाइटर जेट्स की डिलीवरी 2029 से शुरू होगी। वहीं भारत में दसॉ एविएशन मेक इन इंडिया पॉलिसी के तहत राफेल असेंबली लाइन लगाएगी, इस नीति के तहत भारत में खरीदे गए 60% हथियारों की लोकल मैन्युफैक्चरिंग की जानी जरूरी है।
चीन और पाकिस्तान हैं चुनौती
राफेल M की तैनाती भारत के लिए बेहद स्ट्रैटेजिक एडवांटेज साबित होगी। खासकर जब चीन और पाकिस्तान अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। चीन ने तीन एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात कर लिए हैं और 2035 तक पांच कैरियर बनाने की योजना बना रहा है। इन कैरियर्स पर J-15 फाइटर जेट्स तैनात हैं, लेकिन उनकी तकनीक राफेल के मुकाबले पुरानी मानी जाती है। वहीं, चीन का Fujian कैरियर (EMALS सिस्टम के साथ) भारतीय नौसेना के लिए नई चुनौती बन सकता है।
वहीं पाकिस्तान की बात करें, तो पाकिस्तान ने चीन से JF-17 थंडर और कुछ J-10C फाइटर्स खरीदे हैं। हालांकि, पाकिस्तान के पास कोई एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है, जिससे वह भारतीय नौसेना के सामने काफी कमजोर है। वहीं, राफेल की Meteor मिसाइल क्षमता पाकिस्तान के किसी भी फाइटर जेट से काफी बेहतर है।