INS Tamal: ‘बायर्स नेवी’ से ‘बिल्डर्स नेवी’ बनी भारतीय नौसेना, जून में कमीशन होगा आईएनएस तमाल, अब बाहर से नहीं खरीदे जाएंगे वॉरशिप

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By News Desk

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📍नई दिल्ली | 2 months ago

INS Tamal: भारतीय नौसेना में जल्द ही एक और आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट INS Tamal शामिल होने जा रहा है। यह युद्धपोत रूस में तैयार किया गया है और इसके जून 2025 में कमीशन होने की संभावना है। खास बात यह है कि यह भारत द्वारा आयात (Import) किया जाने वाला आखिरी युद्धपोत होगा। इसके बाद भारतीय नौसेना पूरी तरह से स्वदेशी युद्धपोतों पर निर्भर होगी।

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INS Tamal: आखिरी आयातित स्टील्थ फ्रिगेट

INS Tamal भारतीय नौसेना के लिए रूस में बनाए जा रहे Krivak-class स्टील्थ फ्रिगेट्स में से एक है। इस युद्धपोत को ऑपरेट करने वाली भारतीय नौसेना की टीम हाल ही में सेंट पीटर्सबर्ग, रूस पहुंची है। भारतीय नौसेना के करीब 200 अधिकारी और नौसैनिक सेंट पीटर्सबर्ग पहुंच चुके हैं। ये अधिकारी ट्रेनिंग के बाद Kaliningrad में शिफ्ट होंगे, जहां युद्धपोत फाइनल ट्रायल्स से गुजरेगा और फिर जून 2025 में आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। भारतीय नौसेना का यह दल युद्धपोत के ऑपरेशन और वेपन सिस्टम के इस्तेमाल की ट्रेनिंग ले रहा है।

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INS Tamal को भारत और रूस के बीच 2016 में हुए इंटर-गवर्नमेंटल समझौते के तहत बनाया गया है। इस समझौते के तहत कुल चार Krivak-class stealth frigates बनाए जाने थे, जिनमें से दो रूस में तैयार हुए हैं और दो को भारत में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) बना रहा है। INS Tushil, जो इस समझौते के तहत रूस में तैयार होने वाला पहला युद्धपोत था, 9 दिसंबर 2024 को Kaliningrad में भारतीय नौसेना को सौंपा गया था और फरवरी 2025 में यह अपने होम पोर्ट करवार पहुंचा था। रूस में बनाए जा रहे दो युद्धपोतों के लिए 2018 में एक अरब डॉलर (लगभग 83 अरब रुपये) का सौदा हुआ था।

INS Tamal की खूबियां

INS Tamal एक Krivak-class stealth frigate है। INS Tamal अत्याधुनिक तकनीकों से लैस एक स्टील्थ फ्रिगेट है, जो दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आता। इसे कम दृश्यता (Low Visibility) और हाई-स्पीड ऑपरेशंस को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। यह युद्धपोत हथियारों और सेंसरों के मॉडर्न कॉम्बिनेशंस से लैस होगा, जिससे यह समुद्री हमलों में अत्यधिक प्रभावी रहेगा।

इसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (SAMs) लगी हैं, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को मार गिराने में सक्षम हैं। इसमें लगी एंटी-शिप मिसाइलें दुश्मन के युद्धपोतों को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट कर सकती हैं। इसके अलावा आर्टिलरी सिस्टम में एडवाांस गन और रडार-गाइडेड हथियार होते हैं, जो दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकते हैं। जबकि इसमें लगीं टॉरपीडो पानी के नीचे दुश्मन की पनडुब्बियों और जहाजों को निशाना बना सकती हैं। यह शिप एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से भी लैस है, जो दुश्मन की रडार और कम्यूनिकेशन सिस्टम को जाम कर देता है।

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परीक्षणों के दौर से गुजर रहा है INS Tamal

INS Tamal ने पहले ही निर्माता परीक्षण मैन्युफैक्चरर ट्रायल्स पास कर लिए हैं और इस समय यह स्टेट कमेटी ट्रायल्स से गुजर रहा है। अगले 45-50 दिनों में इसे समुद्री परीक्षणों (Sea Trials) और वेपन ट्रायल्स के दौर से गुजरना होगा। इसके बाद, इसे डिलीवरी एक्सेप्टेंस ट्रायल्स (Delivery Acceptance Trials) के लिए तैयार किया जाएगा। जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यद्धपोत नौसेना की सभी जरूरतों को पूरा कर रहा है या नहीं। इन सभी चरणों के सफलतापूर्वक पूरे होने के बाद इसे जून में कमीशन किया जाएगा और भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।

INS Tushil: भारत पहुंच चुका पहला Krivak-class युद्धपोत

INS Tamal से पहले, INS Tushil भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला पहला युद्धपोत था, जिसे 9 दिसंबर 2024 को रूस के Kaliningrad में कमीशन किया गया था। इसके कमीशनिंग कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। INS Tushil ने 12,500 समुद्री मील की यात्रा करते हुए तीन महाद्वीपों और आठ देशों की यात्रा की और आखिरकार 14 फरवरी 2025 को अपने बेस, कर्नाटक के करवार पोर्ट पहुंचा। यह यात्रा भारत की समुद्री कूटनीति (Maritime Diplomacy) और वैश्विक रक्षा साझेदारियों को मजबूत करने का संकेत देती है।

भारत में बन रहे युद्धपोत

INS Tamal और INS Tushil के बाद भारतीय नौसेना का पूरा ध्यान स्वदेशी युद्धपोतों पर होगा। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) ने रूस की रक्षा निर्यात कंपनी Rosoboronexport के साथ 500 मिलियन डॉलर का करार किया है, जिसके तहत दो Krivak-class स्टील्थ फ्रिगेट्स भारत में बनाए जा रहे हैं। जनवरी 2019 में रक्षा मंत्रालय और जीएसएल के बीच कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत किए गए थे। खास बात यह है कि इन सभी जहाजों में यूक्रेन की कंपनी जोर्या नैशप्रोक्ट के इंजन लगाए गए हैं।

GSL का बनाया पहला फ्रिगेट 2026 तक नौसेना को सौंपे जाने की योजना है, जबकि दूसरा युद्धपोत इसके छह महीने बाद तैयार होगा। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की डिलीवरी शिड्यूल के मुताबिक चल रही है और इसमें किसी तरह की देरी की संभावना नहीं है।

भारतीय नौसेना ने 1970 में Directorate of Naval Design की स्थापना के बाद से स्वदेशी युद्धपोत निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। वर्तमान में भारत 60 से अधिक युद्धपोतों का निर्माण अपने ही शिपयार्ड्स में कर रहा है। जो भारत को ‘बायर्स नेवी’ (खरीदार नौसेना) से ‘बिल्डर्स नेवी’ (निर्माता नौसेना) की श्रेणी में ले आए हैं। INS Tamal के साथ ही बाहर से खरीदे जाने वाले युद्धपोतों का युग समाप्त हो जाएगा और भारतीय नौसेना पूरी तरह से स्वदेशी युद्धपोतों पर निर्भर हो जाएगी। जो भारत को ‘बायर्स नेवी’ (खरीदार नौसेना) से ‘बिल्डर्स नेवी’ (निर्माता नौसेना) की श्रेणी में ले आए हैं।

करवार नेवल बेस पर तैनात होगा INS Tamal

INS Tamal को भारतीय नौसेना के करवार नेवल बेस पर तैनात किया जाएगा। करवार नौसेना का सबसे महत्वपूर्ण बेस है, जो भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है। इस बेस को भारतीय नौसेना Project Seabird के तहत विकसित कर रही है, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा नौसेना बेस बनने जा रहा है।

Tamal की तैनाती भारतीय नौसेना की ब्लू-वॉटर नेवी (Blue Water Navy) बनने की दिशा में एक और कदम है। यह भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में और अधिक शक्ति प्रदान करेगा, जिससे भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा मजबूत होगी। भारतीय नौसेना की इस बढ़ती ताकत से क्षेत्रीय सामरिक संतुलन (Strategic Balance) में बदलाव आएगा, जिससे भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और व्यापार मार्गों की स्थिरता सुनिश्चित होगी।

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