📍नई दिल्ली | 2 months ago
TAIWS: भारतीय सेना जल्द ही नियंत्रण रेखा (LoC) पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित ‘ट्रैक एंड शूट’ वेपन सिस्टम तैनात करने की योजना बना रही है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ लगातार जारी है। इस नई टेक्नोलॉजी का उद्देश्य सेना को आधुनिक उपकरणों से लैस करना और सुरक्षा को और अधिक प्रभावी बनाना है। इस प्रणाली का नाम ट्रैक एंड इंटेलिजेंट वेपन सिस्टम (TAIWS) रखा गया है, जिसे विशेष रूप से घनी झाड़ियों और पहाड़ी इलाकों में छिपे आतंकियों को पहचानने और खत्म करने के लिए डेवलप किया गया है।
क्या है AI बेस्ड ‘Track & Shoot’ वेपन सिस्टम?
TAIWS सिस्टम को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया गया है, जिसमें प्रायमरी और सेकेंडरी कैमरे शामिल हैं। यह कैमरे लगातार इलाके की निगरानी करेंगे और किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाकर उसे ट्रैक करेंगे। इस सिस्टम के तहत एक मीडियम मशीनगन (Medium Machine Gun) लगाई गई है, जिसकी प्रभावी रेंज लगभग 1.8 किलोमीटर तक होगी। यानी इस रेंज आया कोई भी घुसपैठिया इस मशीनगन की जद में होगा। यह सिस्टम AI एनेबल्ड प्राइमरी साइटिंग सिस्टम से लैस होगी, जिसमें 40 गुना ऑप्टिकल जूम, थर्मल इमेजिंग कैमरा और एक सेकेंडरी कैमरा सेंसर होगा, जो कम रोशनी में भी स्पष्ट रूप से लक्ष्य की पहचान कर सकेगा।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
TAIWS सिस्टम संदिग्ध गतिविधियों को ट्रैक कर महज 10 मिलीसेकंड के भीतर उन्हें शूट करने में सक्षम होगा। हालांकि, अंतिम फैसला इसके ऑपरेटर यानी सेना के जवान के पास होगा, जो एक बंकर या ऑपरेशन पोस्ट से इसे कंट्रोल करेगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके और टारगेट को सटीक रूप से निष्क्रिय किया जाए।
इजरायल और बाकी देशों से क्यों है बेहतर?
TAIWS प्रणाली को अन्य देशों की समान सिस्टम से अलग और अधिक एडवांस माना जा रहा है। इजरायल सहित कई देशों द्वारा विकसित किए गए ऐसे हथियारों की तुलना में भारतीय सेना का यह सिस्टम ज्यादा प्रभावी मानी जा रहा है क्योंकि इसमें सेकेंडरी कैमरा सिस्टम शामिल किया गया है। यह सिस्टम कम रोशनी और घने जंगलों में भी अपनी प्रभावशीलता बनाए रखेगा, जिससे सेना को आतंकियों को पकड़ने में अतिरिक्त मदद मिलेगी।
LoC पर पहली बार इस तरह का सिस्टम
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया सिस्टम भारतीय सेना के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। इसे डेवलप करने वाले रक्षा अनुसंधान विशेषज्ञ, डॉ. आशीष डोगरा का कहना है कि यह वेपन सिस्टम भविष्य के युद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि LoC पर पहली बार इस तरह का ऑटोमेटेड सर्विलांस एंड अटैक सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिससे भारतीय सेना की कार्यक्षमता और ज्यादा प्रभावी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि परीक्षण के दौरान पाया गया कि इस प्रणाली की पहली गोली का हिट प्रतिशत 100% रहा, जो इसकी सटीकता और विश्वसनीयता को साबित करता है।
AI सिस्टम की खासियत
- ऑटोमैटिक ट्रैकिंग सिस्टम अपने AI सेंसर के जरिए हर छोटी-बड़ी गतिविधि को ट्रैक करेगा।
- इसमें तुरंत निर्णय लेने की क्षमता है। यह संभावित घुसपैठिए की पहचान होते ही, यह सिस्टम तेजी से लक्ष्य को लॉक करेगा।
- शुरुआती परीक्षणों में इसकी पहली गोली का हिट करने का प्रतिशत 100 फीसदी पाया गया।
TAIWS की तैनाती भारतीय सेना के लिए एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है। इसके जरिए सेना को LoC पर गश्त के दौरान होने वाले खतरों से बचाने में मदद मिलेगी और घुसपैठियों को तेजी से पहचान कर खत्म किया जा सकेगा। अब तक भारतीय सेना को सीमाओं पर लगातार चौकसी करनी पड़ती थी, जिसमें सैनिकों को कई जोखिम उठाने पड़ते थे। लेकिन इस नई प्रणाली से निगरानी और हमले की प्रक्रिया ऑटोमैटिक हो जाएगी, जिससे न केवल सैनिकों की सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि दुश्मन के खिलाफ प्रतिक्रिया भी तेज और प्रभावी होगी।
घुसपैठ रोकने में मिलेगी कामयाबी
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह सिस्टम पाकिस्तान की सीमा पर हालात को पूरी तरह बदल सकता है। हाल के वर्षों में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा घुसपैठ के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है, जिसके चलते सेना को हाई-टेक सिस्टम की जरूरत महसूस हो रही थी। LoC पर तैनात किए जाने के बाद यह प्रणाली उन आतंकियों को तुरंत ट्रैक कर सकेगी जो घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं या फिर घने जंगलों में छिपे हुए हैं। इससे सेना को कम समय में ज्यादा प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलेगी और घुसपैठ को रोकने में भी सफलता मिलेगी।
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सीमा पर खुद ही निगरानी करेगा यह सिस्टम
TAIWS प्रणाली को तैनात करने से भारतीय सेना को कई फायदे होंगे। सबसे पहला फायदा यह होगा कि सैनिकों को हर समय सीमा पर खड़े रहकर निगरानी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि यह सिस्टम खुद ही निगरानी करेगा और खतरे का पता चलते ही प्रतिक्रिया देगा। दूसरा, यह तकनीक आतंकियों की घुसपैठ को रोकने के लिए ज्यादा प्रभावी होगी क्योंकि यह तेजी से प्रतिक्रिया देगी और लक्ष्य को निष्क्रिय कर सकेगी। तीसरा, यह प्रणाली सेना के लिए युद्ध के मैदान में अधिक आधुनिकता लाएगी और उन्हें अधिक सुरक्षित रखेगी।
जवानों की नहीं जाएगी जान
भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इस प्रणाली को तैनात करने से सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) अरुण मेहता ने कहा कि TAIWS प्रणाली एक क्रांतिकारी हथियार प्रणाली होगी और यह सेना को एक नई क्षमता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि यह तकनीक न केवल LoC पर घुसपैठ को रोकने में मदद करेगी, बल्कि यह हमारे सैनिकों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा।” क्योंकि इससे पहले, LoC पर सैनिकों को अपनी जान जोखिम में डालकर आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन करने पड़ते थे। लेकिन अब, AI आधारित यह सिस्टम न केवल इन ऑपरेशंस को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि भारतीय सेना की आधुनिक युद्ध क्षमता को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
भविष्य में कर सकेंगे अपग्रेड
TAIWS प्रणाली का एक और बड़ा फायदा यह है कि इसे भविष्य में और अधिक एडवांस बनाया जा सकता है। इसमें मशीन लर्निंग और AI के और अधिक एडवांस फीचर्स जोड़े जा सकते हैं, जिससे यह खुद ही तेजी से फैसले ले सके और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सके। इसके अलावा, इसे अन्य सुरक्षा एजेंसियों और बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के साथ भी साझा किया जा सकता है ताकि अन्य संवेदनशील इलाकों में भी इसका इस्तेमाल किया जा सके।
सेना ने इस सिस्टम को डेवलप करने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है और यह पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत तैयार की गई है। इसका निर्माण पूरी तरह से देश में हुआ है और यह भारतीय रक्षा प्रणाली के स्वदेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत की रक्षा तकनीकों को और मजबूती मिलेगी और देश की सुरक्षा को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।