📍नई दिल्ली | 2 months ago
Chinese Spy Vessels: हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियां फिर से एकाएक बढ़ गई हैं, जिसके बाद भारत समेत कई देशों की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। इस बार चीन ने मत्स्य अनुसंधान (Fisheries Research) के नाम पर अपने दो जहाजों लान हाई 101 और 201 (Lan Hai 101 & 201) को अरब सागर में तैनात किया है। दावा किया जा रहा है कि ये जहाज चीन के जल कृषि क्षेत्र (Aquaculture) के लिए रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञों को इस बात का संदेह है कि यह सिर्फ एक कवर है और असल में चीन हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की समुद्री खुफिया जानकारियां एकत्र करने में जुटा हुआ है।
ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) एक्सपर्ट डेमियन सायमन ने एक्स (Twitter) पर इन चीनी जहाजों की गतिविधियों को ट्रैक किया और उनकी रूट्स शेयर किए हैं। इन जहाजों की गतिविधियां केवल रिसर्च तक सीमित नहीं दिख रही हैं, बल्कि वे चीन की विस्तृत समुद्री रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये जहाज चीन के डिस्टेंट वाटर फिशिंग फ्लीट और मिलिट्री ऑपरेशंस के लिए खुफिया जानकारी एकत्र कर रहे हैं।
Chinese Spy Vessels: मालदीव ने चीन को दी विशेष अनुमति
सबसे अधिक चिंता इस बात की है कि मालदीव की सरकार ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व में चीन के जहाज लान हाई 101 को अपने जल क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दी है। यह जहाज अत्याधुनिक उपकरणों, ड्रोन और रिमोट ऑपरेटिव व्हीकल्स से लैस है, जो समुद्री सतह का नक्शा बनाने और हाइड्रोग्राफिक डेटा एकत्र करने में सक्षम हैं। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह डाटा पनडुब्बियों की तैनाती और समुद्री मार्गों की निगरानी के लिए बेहद उपयोगी हो सकता है।
1/Feb 02, 2025: Fisheries science vessels, Lan Hai 101 & 201 are in the Arabian Sea conducting research for China’s aquaculture sector gaining information that will likely support Beijing’s distant-water fishing fleet that operates in the region.
[🧵1/5] pic.twitter.com/5XrgkIpCkV— Damien Symon (@detresfa_) February 3, 2025
चौंकाने वाली बात यह है कि चीन के इन जहाजों ने अपने ऑटोमैटिक ट्रांसपोंडर सिस्टम (AIS) को बंद कर दिया है, जिससे उन्हें रियल टाइम ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अपने जहाजों के ट्रांसपोंडर बंद कर दिए हों। इससे पहले भी चीन के “रिसर्च शिप” भारत के मिसाइल परीक्षण क्षेत्रों और नौसैनिक ठिकानों के पास संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाए गए थे।
Chinese Spy Vessels: चीन का समुद्री जासूसी मिशन?
चीन की तथाकथित डिस्टेंट वाटर फिशिंग फ्लीट (Distant-Water Fishing Fleet) पर लंबे समय से अवैध, अनियंत्रित और अनियमित मत्स्य पालन (Illegal, Unreported, and Unregulated (IUU) Fishing) के आरोप लगते रहे हैं।
भारत, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे कई देशों के मछुआरे लंबे समय से चीनी ट्रॉलरों द्वारा ज्यादा मछली पकड़ने के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। स्थानीय मछुआरों का कहना है कि चीनी ट्रॉलर ज्यादा मछली पकड़ने की तकनीकों का उपयोग करते हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचता है।
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इससे भी अधिक चिंता की बाात यह है कि चीन इन जहाजों का इस्तेमाल खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए कर सकता है। कई सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ये चीनी जहाज सैन्य रणनीतिक ठिकानों की निगरानी और “ग्रे ज़ोन वॉरफेयर” नीति के तहत गुप्त जासूसी अभियानों को अंजाम दे सकते हैं।
चीन संग पाकिस्तान की नौसैनिक आयोजित कर रही है AMAN-25
चीन के ये जहाज ऐसे समय में हिंद महासागर में एक्टिव हुए हैं, जब पाकिस्तानी नौसेना कराची में 7 से 11 फरवरी 2025 को मल्टीलेटरल नेवल एक्सरसाइज AMAN-25 आयोजित करने जा रही है। इस अभ्यास में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLA Navy) भी हिस्सा ले रही है। माना जा रहा है कि इस एक्सरसाइज के जरिए हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन और पाकिस्तान अपना दबदबा बढ़ाना चाहते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब चीन के जहाज भारत के स्ट्रेटेजिक ठिकानों के पास देखे गए हैं। पहले भी बंगाल की खाड़ी में भारत के मिसाइल परीक्षणों के दौरान और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के पास चीन के जहाजों की संदिग्ध गतिविधियां देखी गई थीं।
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी नेवल सर्विलांस कैपेबिलिटी को और मजबूत करने की जरूरत है। इसके लिए भारत को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अन्य देशों के साथ समुद्री सहयोग को बढ़ाना होगा। साथ ही, भारत को मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना होगा, ताकि हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को संतुलित किया जा सके। इसके अलावा भारत को अपनी पनडुब्बी और जंगी बेड़े को और मजबूत करना होगा और समुद्री सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक रडार और सैटेलाइट सर्विलांस मैकेनिज्म को डेवलप करना होगा।