📍नई दिल्ली | 3 months ago
MQ-9B SeaGuardian: भारतीय नौसेना को अमेरिकी रक्षा कंपनी General Atomics ने MQ-9B SeaGuardian ड्रोन का नया वर्जन सौंप दिया है। यह ड्रोन सितंबर 2023 में बंगाल की खाड़ी में दुर्घटनाग्रस्त हुए MQ-9B के बदले में मिला है। भारतीय नौसेना ने इस एडवांस ड्रोन को लीज एग्रीमेंट के तहत शामिल किया था, जो प्रमुख रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR) मिशनों में तैनात किया जाता है।
पिछले साल सितंबर में हुए हादसे की वजह पावर फेलियर बताई गई थी, जिसके कारण हाई-एल्टीट्यूड, लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद, जनरल एटॉमिक्स ने नए ड्रोन की सप्लाई की, जो अब इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR) ऑपरेशन के लिए भारतीय नौसेना में शामिल हो चुका है। इस ड्रोन को तमिलनाडु के नेवल एयर स्टेशन राजाली में तैनात किया गया है, जहां से यह भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखेगा।
नौसेना ने 2020 में General Atomics से दो MQ-9B SeaGuardian ड्रोन लीज पर लिए थे, जिन्हें INS राजाली, तमिलनाडु स्थित नौसेना एयरबेस से ऑपरेट किया जाता है। ये रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट ड्रोन्स भारतीय नौसेना के लिए बेहद अहम साबित हो रहे हैं और अब तक 18,000 घंटे से अधिक उड़ान समय पूरा कर चुके हैं।
MQ-9B SeaGuardian: भारत को मिलेंगे 31 एडवांस्ड ड्रोन
पिछले साल भारत ने अमेरिका के साथ एक $3.5 बिलियन ((28,900 करोड़ रुपये) का सौदा किया है, जिसके तहत उसे 31 MQ-9B Sea/SkyGuardian ड्रोन मिलेंगे। जिसमें नौसेना को 15, सेना को 8 और वायुसेना को 8 ड्रोन मिलेंगे। इनकी डिलीवरी 2029 से शुरू होने की संभावना है। ये ड्रोन्स हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) UAVs हैं, जो हेलफायर मिसाइल और GBU-39B बमों जैसे सटीक-मारक हथियारों से लैस होंगे। इनकी तैनाती से भारत की समुद्री सुरक्षा और दुश्मनों की गतिविधियों पर निगरानी करने की क्षमता में इजाफा होगा।
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स्वदेशी Drishti 10 Starliner ड्रोन भी जल्द नौसेना को मिलेगा
इसके अलावा Adani Defence & Aerospace के बनाए Drishti 10 Starliner ड्रोन भी जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला है। इस ड्रोन को इजरायली रक्षा कंपनी Elbit Systems के सहयोग से भारत में डेवलप किया गया है। Drishti 10 Starliner ड्रोन 70 फीसदी स्वदेशी तकनीक से बना है। सेना को यह ड्रोन पहले डिलीवर किया जाना था, लेकिन जनवरी 2025 में गुजरात के पोरबंदर तट पर हुए परीक्षण के दौरान यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह मध्यम ऊंचाई, लंबी अवधि (Medium Altitude, Long Endurance – MALE) श्रेणी का ड्रोन है, जो 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है और 450 किलोग्राम तक भार उठा सकता है।
INS विक्रमादित्य के स्थान पर नया स्वदेशी विमानवाहक पोत
भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए INS विक्रमादित्य के रिप्लेसमेंट के तौर पर एक नया स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (IAC-2) बनाने की योजना भी बनाई जा रही है। वर्तमान में नौसेना INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत को ऑपरेट कर रही है। INS विक्रमादित्य को रूस से खरीदा गया था, जबकि INS विक्रांत को कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था। अब नौसेना अपने तीसरे विमानवाहक पोत IAC-2 के निर्माण की योजना बना रही है, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा और मजबूत होगी।
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राफेल एम फाइटर जेट और नई पनडुब्बियों का सौदा जल्द
भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता को और अधिक धारदार बनाने के लिए फ्रांस के साथ एक बड़ी डील जल्द ही फाइनल होने वाली है। इस डील के तहत INS विक्रांत के लिए 26 नए राफेल-M लड़ाकू विमान और 3 अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियां खरीदी जाएंगी। इस सौदे की अनुमानित लागत 50,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। राफेल-M ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर जेट हैं, जो मेरीटाइम वारफेयर ऑपरेशन्स के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हैं। हालांकि, ये जेट भारतीय नौसेना की अंतरिम जरूरतों को पूरा करेंगे, जब तक कि स्वदेशी ट्विन-इंजन डेक बेस्ड फाइटर (TEDBF) डेवलप नहीं हो जाता। इसका पहला प्रोटोटाइप 2026 तक उड़ान भरेगा और 2031 तक नौसेना में शामिल हो सकता है।
नई पनडुब्बियों के निर्माण में जर्मनी का साथ
इसके अलावा, भारत 3 नई स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियां भी शामिल करने जा रहा है, जिन्हें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई में बनाया जाएगा। इन पनडुब्बियों के आने से भारतीय नौसेना की अंडरवाटर कॉम्बैट कैपेबिलिटीज में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, भारत ने 70,000 करोड़ रुपय़े की P-75I परियोजना शुरू की है, जिसके तहत 6 नई अत्याधुनिक पनडुब्बियां बनाई जाएंगी। इसके लिए MDL और जर्मन कंपनी thyssenkrupp Marine Systems (tkMS) को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है।
लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकेंगी पनडुब्बियां
ये HDW Class 214 पनडुब्बियों का मॉडर्न वर्जन होंगी, इन पनडुब्बियों में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम होगा, जिससे वे लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकेंगी और दुश्मन के रडार से बचने में मदद मिलेगी। AIP सिस्टम पनडुब्बी की पानी के अंदर रहने की क्षमता को बढ़ाता है और इसे दुश्मन के रडार से बचने में मदद करता है। इससे भारतीय नौसेना की पनडुब्बी युद्ध क्षमता चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना करने में सक्षम होगी।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी समुद्री रक्षा क्षमताओं को जबरदस्त तरीके से मजबूत किया है। MQ-9B SeaGuardian और Drishti 10 Starliner जैसे एडवांस ड्रोन्स से भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमताएं कई गुना बढ़ जाएंगी। वहीं, INS विक्रांत, राफेल-M, स्कॉर्पीन पनडुब्बियां और P-75I परियोजना भारतीय नौसेना को आने वाले दशकों में समुद्री क्षेत्र में और अधिक शक्तिशाली बनाएंगे। इन सभी परियोजनाओं से भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपनी प्रभुत्वशाली स्थिति को और मजबूत करेगी और चीन तथा पाकिस्तान जैसी चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना कर सकेगी।