📍नई दिल्ली | 3 months ago
Pralay Ballistic Missile: गणतंत्र दिवस 2025 की रिहर्सल परेड के अभ्यास के दौरान एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदमों की झलक पेश की। दशकों से भारतीय सेना चेक गणराज्य में बने टैट्रा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर्स (Tatra Transporter Erector Launchers) पर निर्भर रही है, लेकिन अब इनकी जगह स्वदेशी विकल्प ले रहे हैं। रिहर्सल परेड के दौरान अशोक लीलैंड के 12×12 हेवी-ड्यूटी व्हीकल पर “प्रलय” टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल को ले जाते देखा गया।
टैट्रा ट्रकों की भारतीय सेना में अहम भूमिका रही है। ये वाहन अपनी मजबूती और दुर्गम इलाकों में बेहतर प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं। हिमालय जैसे कठिन पहाड़ी इलाकों से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक, टैट्रा ट्रकों ने हमेशा अपनी उपयोगिता साबित की है। इनका इस्तेमाल पिनाका, ब्रह्मोस और पृथ्वी जैसी मिसाइलों को ले जाने और तैनात करने के लिए भी किया जाता है। लेकिन “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के तहत, भारत अब विदेशी उपकरणों पर निर्भरता को कम करने और स्वदेशी विकल्पों को प्राथमिकता देने की कोशिशों में जुटा है।
Pralay Ballistic Missile: अशोक लीलैंड ले रहा जगह
“आत्मनिर्भर भारत” पहल में अशोक लीलैंड ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंपनी ने भारतीय सेना के लिए 12×12 कॉन्फिगरेशन वाला हेवी-ड्यूटी व्हीकल तैयार किया है, जो न केवल तकनीकी दृष्टि से एडवांस है बल्कि पूरी तरह से भारत में निर्मित है। इस वाहन की झलक गणतंत्र दिवस परेड के अभ्यास के दौरान देखने को मिली, जहां यह “प्रलय” मिसाइल को ले जाते हुए यह ट्र्क नजर आया। वहीं, प्रलय जैसी मिसाइल को स्वदेशी व्हीकल पर ले जाकर भारत ने यह साबित किया है कि अब वह भारी वाहनों के निर्माण में भी वैश्विक मानकों को पूरा करने में सक्षम है।
टैट्रा से स्वदेशी वाहनों तक का सफर
सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना ने अपने BEML-TATRA 12×12 हाई-मोबिलिटी स्पेशल मिलिट्री वाहनों (HMSMV) को स्वदेशी रूप से विकसित नए वाहनों से बदलने की योजना बनाई है। यह बदलाव 2026 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
BEML-TATRA 12×12 वाहन सेना की लॉजिस्टिक बेड़े का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। टैट्रा ट्रकों का उपयोग भारतीय सेना में दशकों से हो रहा है। चाहे वह हिमालय की बर्फीली चोटियां हों या राजस्थान के रेतीले रास्ते, टैट्रा ट्रक हमेशा सेना की प्राथमिकता रहे हैं। ये विशेष वाहन भारी वजन को चुनौतीपूर्ण इलाकों में ले जाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इनकी 42 टन की पेलोड क्षमता और 13 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म उन्हें बड़े और भारी सैन्य उपकरणों को ले जाने के लिए उपयुक्त बनाता है। स्वचालित ट्रांसमिशन और उत्कृष्ट ऑफ-रोड क्षमताओं के कारण ये वाहन कठिन परिस्थितियों में भी कुशलता से काम करते हैं।
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नए स्वदेशी वाहनों को BEML-TATRA 12×12 के प्रदर्शन मानकों के बराबर या उससे बेहतर होना होगा। इनमें 42 टन की पेलोड क्षमता, लंबा प्लेटफॉर्म, ऑफ-रोड गतिशीलता और एडवांस ऑटौमिटक ट्रांसमिशन जैसी खूबियों को शामिल करना होगा।
यह पहल सरकार के “मेक इन इंडिया” अभियान के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता को कम करना है। स्वदेशी हाई-मोबिलिटी वाहनों को शामिल करके भारतीय सेना न केवल अपनी लॉजिस्टिक क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि देश की रक्षा निर्माण क्षमता को भी प्रोत्साहित करेगी।
Pralay Ballistic Missile की विशेषताएं
प्रलय एक टैक्टिकल क्वासी-बैलिस्टिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसकी रेंज 150 से 500 किलोमीटर है। प्रलय मिसाइल 350 से 700 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है और इसे सॉलिड-फ्यूल रॉकेट मोटर से पावर मिलती है। इसका गाइडेंस सिस्टम इसे 10 मीटर से कम सर्कुलर एरर प्रॉबेबल (CEP) प्रदान करता है। इसमें हाई-एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन, पेनिट्रेशन-कम-ब्लास्ट (PCB), और रनवे डिनायल सबम्यूनिशन (RDPS) जैसे वॉरहेड ऑप्शन हैं।
इंटीग्रेटेड रॉकेट फोर्स का हिस्सा है प्रलय
चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों ने अपनी सीमाओं पर मिसाइल सिस्टम को उन्नत किया है। पाकिस्तान ने चीनी HQ-9 सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम और चीन ने समान सिस्टम तैनात किए हैं। इसके जवाब में, भारत ने प्रलय मिसाइलों की तैनाती को मंजूरी दी है।
भारतीय वायुसेना ने 2022 में 120 प्रलय मिसाइलों का ऑर्डर दिया था, जबकि 2023 में भारतीय सेना ने 250 और मिसाइलें मंगवाईं। इन मिसाइलों का उद्देश्य चीन और पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमाओं पर भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना है। प्रलय को इंटीग्रेटेड रॉकेट फोर्स (IRF) का हिस्सा बनाया गया है, जिसमें ब्रह्मोस, निर्भय और पिनाका जैसे सिस्टम भी शामिल हैं।
प्रलय में कई देशों की दिलचस्पी
प्रलय मिसाइल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मांग बढ़ रही है। भारत के रक्षा मंत्रालय ने इस मिसाइल के निर्यात को मंजूरी दी है। खबरों के मुताबिक, आर्मेनिया के साथ इसके निर्यात पर बातचीत चल रही है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, निर्यात वेरिएंट की रेंज को 300 किलोमीटर और पेलोड को 500 किलोग्राम तक सीमित किया जाएगा।