Siachen 5G Network: सेना की ‘फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स’ ने रचा इतिहास, दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में अब जवानों को मिलेगा 5जी इंटरनेट

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By News Desk

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📍नई दिल्ली | 3 months ago

Siachen 5G Network: सियाचिन ग्लेशियर, जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र कहा जाता है, अब 5G कनेक्टिविटी से लैस हो गया है। रिलायंस जियो ने इस दुर्गम क्षेत्र में अपनी 4G और 5G सेवाएं शुरू कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। सेना दिवस के मौके पर इसका एलान किया गया।

Siachen 5G Network: Fire and Fury Corps Makes History, Brings 5G to the World’s Highest Battlefield

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सियाचिन ग्लेशियर कराकोरम रेंज में 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, और दुनिया के सबसे दुर्गम और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। यहां का तापमान -50°C तक गिर सकता है और बर्फीले तूफान आम बात हैं। इन कठोर परिस्थितियों में भी जियो ने 5G मोबाइल टॉवर स्थापित करके भारतीय सेना के जवानों को बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई है।

Siachen 5G Network: कैसे हुआ यह संभव?

रिलायंस जियो ने भारतीय सेना की ‘फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स’ के साथ मिलकर इस मुश्किल काम को अंजाम दिया है। सेना के फायर एंड फ्यूरी सिग्नलर्स और सियाचिन वारियर्स ने जियो की टीम के साथ मिलकर उत्तरी ग्लेशियर पर पहला 5G मोबाइल टॉवर स्थापित किया।

जियो के उपकरणों को कठिन इलाकों और ठंडे मौसम में एयरलिफ्ट कर फ्रंट पोस्ट तक पहुंचाया गया। सेना ने रसद प्रबंधन और उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा किया। जियो ने अपनी स्वदेशी फुल-स्टैक 5G टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। इसके तहत प्लग-एंड-प्ले प्री-कॉन्फिगर्ड उपकरणों को लगाया गया है, ताकि ग्लेशियर के कठिन वातावरण में भी यह बेहतर ढंग से काम कर सके।

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इस प्रोजेक्ट के तहत 5G मोबाइल टॉवर उत्तरी ग्लेशियर पर एक अग्रिम चौकी पर लगाया गया है। सेना और जियो की संयुक्त टीम ने अत्यधिक दुर्गम इलाके और बर्फीले मौसम के बावजूद इस टॉवर को सफलतापूर्वक स्थापित किया।

रिलायंस जियो ने इस उपलब्धि को टेलीकॉम उद्योग में एक नई ऊंचाई के रूप में बताया। रिलायंस जियो का दावा है कि वह सियाचिन ग्लेशियर में 4G और 5G सेवाएं देने वाला पहला टेलीकॉम ऑपरेटर है। कंपनी के एक बयान में कहा गया, “सियाचिन ग्लेशियर पर 5G सेवाएं शुरू करके जियो ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि हमारी सेना के जवानों के प्रति सम्मान और समर्थन का भी एक उदाहरण है।”

रिलायंस जियो के एक अधिकारी ने कहा, “यह प्रोजेक्ट हमारे सैनिकों की वीरता और उनकी जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह कदम सियाचिन जैसे दुर्गम क्षेत्रों में सैनिकों की ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाएगा।”

इस पहल के जरिए जियो ने लेह-लद्दाख क्षेत्र में अपनी नेटवर्क पहुंच को और मजबूत किया है। कंपनी पहले ही इस क्षेत्र के सीमावर्ती इलाकों में 4G सेवाएं प्रदान कर रही थी।

सेना बोली- हमारे बहादुर सैनिकों को समर्पित

भारतीय सेना ने इस उपलब्धि को “अदम्य साहस और तकनीकी दक्षता” का प्रतीक बताया। सेना ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “यह उपलब्धि हमारे बहादुर सैनिकों को समर्पित है, जो कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में देश की रक्षा करते हैं। इतनी ऊंचाई पर टावर लगाना न केवल तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण था, बल्कि अत्यधिक कठोर मौसम में इसे पूरा करना भी साहसिक कार्य था।”

सैनिकों के लिए क्यों जरूरी है यह सेवा?

सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात भारतीय सेना के जवान कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा करते हैं। बर्फीली हवाओं, अत्यधिक ठंड और दुर्गम इलाकों में सैनिकों को अक्सर डिजिटल कनेक्टिविटी की कमी का सामना करना पड़ता है।
वहीं, सैनिक अब अपनी यूनिट्स और मुख्यालय से लगातार संपर्क में रह सकेंगे। इसके अलावा रियल-टाइम डेटा ट्रांसफर और निगरानी और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान में आसानी होगी। साथ ही, सैनिकों को अपने परिवारों से जुड़े रहने का अवसर मिलेगा, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा। इस नेटवर्क के जरिए सैनिकों को न केवल बेहतर संचार सुविधा मिलेगी, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में मदद भी जल्दी मिलेगी।

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2024 के अंत तक 42 से ज्यादा लगाए टावर

सिर्फ सियाचिन ही नहीं, लद्दाख के अन्य दुर्गम क्षेत्रों में भी 4G नेटवर्क तेजी से फैल रहा है। भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने भारती एयरटेल के साथ मिलकर 2024 के अंत तक 42 नए 4G टावर स्थापित किए थे। ये टावर कारगिल, देमचोक, दौलत बेग ओल्डी (DBO), गलवान और पैंगोंग झील जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लगाए गए हैं। इससे पहले, नवंबर 2024 तक केवल 20 टावर ही लगाए गए थे। लेकिन सेना और एयरटेल के संयुक्त प्रयासों से इस संख्या को मात्र डेढ़ महीने में दोगुना कर दिया गया।

सियाचिन और लद्दाख में इन परियोजनाओं को सफल बनाने के पीछे भारतीय सेना का महत्वपूर्ण योगदान है। सेना ने इन दुर्गम इलाकों में रसद पहुंचाने, उपकरणों को एयरलिफ्ट करने और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय करने में अग्रणी भूमिका निभाई। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस परियोजना को “राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक” बताया। उन्होंने कहा कि लद्दाख जैसे कठिन इलाकों में डिजिटल कनेक्टिविटी केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सीमावर्ती क्षेत्रों में संचार नेटवर्क मजबूत होने से भारतीय सेना की ऑपरेशनल क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, यह दुश्मन के किसी भी दावे का स्पष्ट जवाब भी है कि ये क्षेत्र भारतीय संप्रभुता के अभिन्न अंग हैं।

उन्होंने बताया कि सैनिकों और स्थानीय नागरिकों दोनों के लिए यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रही है। पहले जहां सैनिकों के लिए अपने परिवारों से संपर्क साधना एक बड़ी चुनौती थी, अब वे इन 4G और 5G सेवाओं की मदद से वीडियो कॉल और अन्य डिजिटल सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, स्थानीय समुदाय, जो अब तक डिजिटल सुविधाओं से अछूते थे, अब शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के नए अवसरों से जुड़ रहे हैं।

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