📍नई दिल्ली | 3 months ago
Robotic Mules: 77वें सेना दिवस परेड में भारतीय सेना के ‘रोबोटिक खच्चरों’ (Robotic Mules) ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। बुधवार को पुणे में आयोजित इस परेड में इन अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। यह मशीनी खच्चर न केवल सेना के ऑपरेशंस को मजबूती देंगी, बल्कि भारतीय सेना के भविष्य में तकनीकी क्रांति का प्रतीक भी बनेंगे। इन रोबोटिक खच्चरों को भारत-चीन सीमा एलएसी पर भी तैनात किया गया है।
ये रोबोटिक खच्चर दरअसल अनमैन्ड ग्राउंड व्हीकल्स (UGVs) हैं। इन्हें इस साल गणतंत्र दिवस परेड में भी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित किया जाएगा, जहां आम जनता इनकी क्षमताओं को नज़दीक से देख सकेगी।
भारतीय सेना ने पिछले साल 100 रोबोटिक खच्चरों को शामिल किया था, जिनका उद्देश्य ऊंचाई वाले इलाकों और चुनौतीपूर्ण भूभाग में रसद और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना है। इन्हें खासतौर पर उन इलाकों के लिए डिज़ाइन किया गया है, कठोर जहां मौसम और दुर्गम रास्तों के चलते आम उपकरणों के इस्तेमाल में दिक्कत होती है।
LAC पर तैनात हैं रोबॉटिक म्यूल, आज आर्मी डे परेड का बने हिस्सा। #roboticmule #indianarmy #IndianArmyDay #IndianArmyDay2025 pic.twitter.com/EINAHDD4Ny
— Raksha Samachar *रक्षा समाचार*🇮🇳 (@RakshaSamachar) January 15, 2025
Robotic Mules की खूबियां
- ये रोबोटिक खच्चर -40°C से +55°C तक के तापमान में भी काम कर सकते हैं।
- ये खड़ी ढलानों और सीढ़ियों पर चढ़ने में सक्षम हैं।
- प्रत्येक खच्चर 15 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है, जिसमें हथियार भी शामिल हैं।
- इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स और इंफ्रारेड सेंसर से लैस, ये खच्चर आसपास की वस्तुओं और खतरों की पहचान कर सकते हैं।
- युद्ध के दौरान घायल सैनिकों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने में ये म्यूल्स मदद कर सकते हैं।
2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद भारतीय सेना ने अपनी ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तकनीकी सुधारों पर जोर दिया। सेना का लक्ष्य 2030 तक पशु परिवहन पर निर्भरता को 50-60% तक कम करना है। इन रोबोटिक खच्चरों का उपयोग इसी लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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रोबोटिक खच्चरों के निर्माता एयरोएआरसी के सीईओ अर्जुन अग्रवाल ने बताया, “ये म्यूल्स तीन साल तक बिना बड़ी मरम्मत के काम कर सकते हैं। ये खच्चर सभी प्रकार की बाधाओं को पार कर सकते हैं। यह पानी में जा सकते हैं, नदियों को पार कर सकते हैं, और 3D मैपिंग करने के लिए कैमरे और अन्य उपकरण ले जाने में सक्षम हैं।”
वहीं, जब दुश्मन की घुसपैठ होती है, तो यह खच्चर खतरे की पहचान करता है और कमांडर को जानकारी देता है। इससे जोखिम कम होता है और त्वरित कार्रवाई की जा सकती है।
खास बात यह है कि ये रोबोटिक म्यूल्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से लैस हैं। ये ऑटोमैटिकली तौर पर काम कर सकते हैं और कमांड के आधार पर अपने आप निर्णय लेने में सक्षम हैं।
जहां भारतीय सेना रोबोटिक खच्चरों को अपनी क्षमताओं में शामिल कर रही है, वहीं चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) पहले से ही रोबोटिक कुत्तों का उपयोग कर रही है। यह दिखाता है कि भविष्य के युद्ध संचालन में तकनीकी उपकरण कितने महत्वपूर्ण होंने वाले हैं।
2030 तक का लक्ष्य
भारतीय सेना का उद्देश्य अपने ऑपरेशंस में स्वदेशी तकनीक और उपकरणों का उपयोग बढ़ाना है। ये रोबोटिक खच्चर न केवल दुर्गम इलाकों में सैनिकों का साथ देंगे, बल्कि सेना की रसद और निगरानी क्षमताओं को भी बेहतर बनाएंगे।