Ladakh 4G Network: भारतीय सेना की बदौलत डिजिटल क्रांति से जुड़े लद्दाख के ‘फर्स्ट विलेज’, अकेले 5 माह में लगाए 40 नए 4जी टावर

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By News Desk

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📍नई दिल्ली | 4 months ago

Ladakh 4G Network: लद्दाख के सीमावर्ती और दूरस्थ गांवों में जून 2024 तक 4G मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं थी। यह क्षेत्र डिजिटल क्रांति से अछूता था, जिससे स्थानीय समुदाय आधुनिक सुविधाओं से वंचित थे। भारतीय सेना ने इस समस्या का समाधान करने के लिए भारती एयरटेल के साथ मिलकर देश के ‘पहले गांव’ में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने का जिम्मा उठाया। भारतीय सेना ने अकेले  पांच महीनों में ही 42 से ज्यादा 4जी कनेक्टिविटी वाले मोबाइल टावर लगाए हैं।

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Ladakh 4G Network: फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने निभाई अहम भूमिका

भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने इस पहल में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सभी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ मिलकर इन गांवों में मोबाइल टावर स्थापित किए। केवल पांच महीनों में ही 42 एयरटेल 4G मोबाइल टावर लगाए गए हैं। ये टावर कारगिल, सियाचिन, देमचोक, दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और गलवान जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लगाए गए हैं। यह चुनौतीपूर्ण कार्य 13,000 फीट से अधिक की ऊंचाई और माइनस 40 डिग्री सेल्सियस के कठोर मौसम में संभव हो सका। इनमें सीमावर्ती गांव और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के क्षेत्र शामिल हैं, जहां तैनात भारतीय सैनिक कठिन सर्दियों का सामना कर रहे हैं।

Ladakh 4G Network: सैनिकों और नागरिकों को मिला बड़ा फायदा

इस परियोजना को पूरा करने के लिए अत्यंत कड़ी योजना और प्रयास किए गए। मुश्किल पहाड़ियों, सीमित सड़क संपर्क और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों ने इस कार्य को चुनौतीपूर्ण बना दिया, लेकिन सेना और एयरटेल ने इन बाधाओं को पार कर सफलता हासिल की। इस पहल का सबसे बड़ा फायदा उन सैनिकों को हुआ जो लद्दाख में तैनात हैं। अब वे अपने परिवारों से जुड़े रह सकते हैं। वहीं, स्थानीय समुदायों को भी डिजिटल कनेक्टिविटी का लाभ मिला है।

पर्यटन और आर्थिक अवसरों को मिलेगा बढ़ावा

सैन्य सूत्रों ने कहा कि इस परियोजना का फायदा केवल कम्यूनिकेशन तक सीमित नहीं रहेगा। यह इस इलाके में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगा। स्थानीय समुदाय अब डिजिटल दुनिया का हिस्सा बन पाएंगे, जिससे उनके जीवन में सुधार आएगा।

डिजिटल कनेक्टिविटी ने इन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त किया है। अब इन क्षेत्रों में न केवल पर्यटक आसानी से पहुंच सकेंगे, बल्कि स्थानीय लोगों को ऑनलाइन शिक्षा, दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी योजनाओं तक भी बेहतर पहुंच मिलेगी।

इससे पहले 16 नवंबर, 2024 तक ही भारतीय सेना ने एयरटेल के साथ मिल कर मात्र 20 टावर ही लगाए थे। लेकिन मात्र डेढ़ महीने में ही भारतीय सेना ओर एय़रटेल के अथक प्रयासों से यह संख्या 40 तक पहुंच गई।

चुशुल के कांउसलर कोनचोक स्टैनजिन लंबे समय से कर रहे थे मांग

21 अगस्त 2024 को एलएसी के नजदीक पैंगोंग झील के किनारे बसे फोबरंग गांव में एयरटेल 4जी नेटवर्क लगाया था। चीन सीमा के नजदीक बसे चुशुल के कांउसलर, कोनचोक स्टैनजिन ने नेटवर्क लॉन्च किया था। वे लंबे समय से यहां टावर लगाने की मांग कर रहे थे। कोनचोक स्टेंजिन ने ही टावर के लिए सोलर पावर प्लांट उपलब्ध कराया, भारतीय सेना ने ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाई, और ग्रामीणों ने बैटरी बैंक का निर्माण किया। एयरटेल ने नेटवर्क टावर स्थापित किया।

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डिजिटल कनेक्टिविटी से मुख्यधारा से जुड़ेगा लद्दाख

भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा, “इन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मजबूत संचार नेटवर्क सुनिश्चित करना न केवल सैन्य अभियानों के लिए, बल्कि स्थानीय समुदायों के कल्याण के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। यह परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।” उन्होंने कहा,
भारतीय सेना की इस पहल ने न केवल स्थानीय समुदायों की जिंदगी को आसान बनाया है, बल्कि सरकार की विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को पूरा करने में भी योगदान दिया है। डिजिटल कनेक्टिविटी इन सुदूरवर्ती क्षेत्रों को देश के मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

4जी नेटवर्क की उपलब्धता स्थानीय समुदायों के लिए नए अवसर लेकर आएगी। यह परियोजना शिक्षा के नए आयाम खोलेगी, स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाएगी और स्थानीय व्यापार को प्रोत्साहित करेगी। इसके साथ ही, यह क्षेत्र के समग्र विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

भारतीय सेना और एयरटेल की यह पहल, लद्दाख जैसे सुदूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में विकास और कनेक्टिविटी का एक नया अध्याय लिखने के साथ-साथ, वहां की जनता के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की दिशा में एक अहम प्रयास है।

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