📍नई दिल्ली | 4 months ago
Indian Armed Forces ADC reform: भारतीय सशस्त्र बलों में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार के तहत, अब सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों के लिए पर्सनल स्टााफ ऑफिसर यानी एड्स-डे-कैंप यानी Aides-de-Camp (ADC) अब उनकी खुद की सेवा से नहीं, बल्कि दूसरी सर्विसेज से नियुक्त किए जाएंगे। यह नई व्यवस्था 1 जनवरी से लागू हो गई है और इसे तीनों सेवाओं के प्रमुखों ने स्वीकार भी कर लिया है। यह कदम तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।

Indian Armed Forces ADC reform: क्या काम करते हैं ADC?
ADC यानी पर्सनल स्टाफ ऑफिसर का काम चीफ की आधिकारिक बैठकों और कार्यक्रमों में भाग लेना, शेड्यूलिंग, पत्राचार और अन्य प्रशासनिक कामकाज देखना शामिल है। अब ADC अन्य सर्विसेज से नियुक्त किए जाने पर, यह उम्मीद की जा रही है कि इससे सेवाओं के बीच गहरी समझ और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इससे पहले, परंपरागत रूप से सेवा प्रमुख अपने ADC को अपनी ही सेवा से चुनते थे, अक्सर उन्हीं यूनिटों से जिनसे उनका व्यक्तिगत जुड़ाव होता था। मॉर्डन मिलिट्री ऑपरेशंस में एकीकृत दृष्टिकोण की जरूरत को देखते हुए यह पहल एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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सैन्य सूत्रों ने बताया कि इस नए सिस्टम का उद्देश्य सेना के भीतर एक ज्वाइंटनेस (एकजुटता) की संस्कृति को बढ़ावा देना है। डिफेंस सर्विसेज के स्टाफ कॉलेज में पहले ही एक विशेष जॉइंट डिवीजन स्थापित किया गया है, जहां तीनों सेवाओं के अधिकारियों को इंटीग्रेटेड स्ट्रेटेजी और आपसी सहयोग पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
Indian Armed Forces ADC reform: इतिहास में ADC की परंपरा
ADC की परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है। उस समय, ADC का चयन मुख्यतः उनकी यूनिट की प्रतिष्ठा और सेवा प्रमुख के साथ उनके संबंधों के आधार पर किया जाता था। सरल शब्दों में कहें तो इतिहास में अब तक, तीनों सेवाओं के प्रमुख अपने ADC को अपनी-अपनी शाखाओं से ही चुनते थे। अक्सर यह चयन उन यूनिट्स से होता था, जिनसे प्रमुखों का व्यक्तिगत जुड़ाव रहा हो। उदाहरण के लिए, एक आर्मी चीफ अपने पुराने रेजिमेंट से किसी अधिकारी को ADC के रूप में चुनते थे। यह न केवल उस प्रमुख की यूनिट के प्रति सम्मान और गर्व का प्रतीक होता था, बल्कि एक तरह से उनकी सर्विस की पहचान भी बनता था।
भारतीय स्वतंत्रता के बाद भी, इस परंपरा को जारी रखा गया। ADC की नियुक्ति एक प्रतिष्ठित जिम्मेदारी मानी जाती थी, जिसमें युवा अधिकारियों को अपने प्रमुख के साथ घनिष्ठ रूप से काम करने और नेतृत्व के गुण सीखने का अवसर मिलता था।
CDS का 200-पॉइंट सुधार एजेंडा
यह नया फैसला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान की तरफ से सुझाए गए 200-पॉइंट सुधार एजेंडा का हिस्सा है। इस एजेंडा का मुख्य उद्देश्य आर्मर्ड फोर्सेज के बीच एकजुटता और सामंजस्य को बढ़ावा देना है। ADC की नियुक्ति में यह बदलाव भले ही देखने में छोटा लगे, लेकिन महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो तीनों सेवाओं के अधिकारियों को एक-दूसरे के कार्य पद्धति को समझने का अवसर देगा।
बता दें कि CDS ने पहले भी कई बार यह स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में वार ऑपरेशंस के लिए तीनों सेनाओं के बीच सामूहिकता और एकीकृत दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
सूत्रों ने बताया कि तीनों सेनाओं – थलसेना, नौसेना और वायुसेना – के बीच तालमेल आज के समय में और भी जरूरी हो गया है। मॉर्डर्न वारफेयर सिस्टम में आपसी कॉर्डिनेशन और इनफॉरमेशन का साझा करना बेहद जरूरी हो गया है। इसीलिए, ADC की इस नई व्यवस्था से सेवाओं के बीच एक नई समझ और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलेगा।
इस नई व्यवस्था के तहत, ADC अब विभिन्न सेवाओं से आएंगे, जिससे उन्हें अन्य सेवाओं के कामकाज और कार्यशैली को जानने और समझने का मौका मिलेगा। इससे सेवा प्रमुखों और ADC के बीच एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित होगा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक दृष्टिकोण में योगदान करेगा।
थिएटर कमांड्स की शुरुआत
भारतीय सशस्त्र बलों में इंटीग्रेटेड कल्चर की शुरुआत हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। थियेटर कमांड्स की थ्योरी में जहां तीनों सेनाओं के ऑपरेशंस को एकसाथ लाने पर जोर दिया जा रहा है, इसका प्रमुख उदाहरण है। ADC के इस बदलाव को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
Indian Armed Forces ADC reform: क्या होंगे फायदे?
यह पहल केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि इससे तीनों सेवाओं के अधिकारियों को एक-दूसरे की कार्यशैली और संस्कृति को समझने का मौका भी मिलेगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी आर्मी चीफ का ADC वायुसेना से आता है, तो वह सेना की प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल के साथ-साथ वायुसेना की ताकतों और तरीकों को भी करीब से देख और समझ सकता है।
तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इस पहल का स्वागत किया है। सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख ने इसे अपनी स्वीकृति देते हुए कहा कि यह तीनों सेनाओं के बीच सहयोग और तालमेल को मजबूत करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “ADC का अन्य सेवा से चयन, न केवल सशस्त्र बलों की एकता को बढ़ावा देगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।”
सशस्त्र बलों में सुधार की दिशा में अन्य कदम
एडीसी को लेकर उटाया गया यह कदम अकेला नहीं है। इसके साथ ही, सशस्त्र बलों में कई अन्य सुधार किए जा रहे हैं:
1. संयुक्त थिएटर कमांड : तीनों सेवाओं को एकीकृत करने के लिए थिएटर कमांड की स्थापना पर विचार हो रहा है।
2. साझा प्रशिक्षण कार्यक्रम : तीनों सेवाओं के अधिकारियों को साझा प्रशिक्षण देने के लिए नई नीतियां बनाई जा रही हैं।
3. तकनीकी सहयोग : आधुनिक तकनीकों और उपकरणों को साझा रूप से उपयोग करने पर जोर दिया जा रहा है।
नए कदम की चुनौतियां और संभावनाएं
जानकारों का कहना है कि हालांकि यह कदम सशस्त्र बलों के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसके लागू करने में कुछ चुनौतियां भी आ सकती हैं। उदाहरण के लिए, अलग-अलग सेवाओं के अधिकारियों के बीच प्राथमिकताओं और कार्यशैली में अंतर हो सकता है। लेकिन इसे दूर करने के लिए नियमित संवाद और संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम मददगार हो सकते हैं।
The Indian Armed Forces are currently undergoing a reform in their ADC system. This reform aims to enhance the efficiency and effectiveness of the Armed Forces by streamlining the ADC process. As part of this reform, comprehensive measures are being implemented to ensure a smooth transition and improved performance. The Indian Armed Forces are optimistic that these reforms will significantly contribute to their overall operational capabilities.