Air Force accidents: भारतीय वायुसेना में 5 सालों में हुए 34 विमान हादसे, इनमें से 19 में मानव गलतियों की वजह से गईं जानें

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 4 months ago

Air Force accidents: भारतीय वायुसेना (IAF) में 2017 से 2022 के बीच 34 विमान हादसे हुए हैं, जिनमें से 19 का कारण मानव त्रुटि (एयरक्रू) रहा है। संसदीय रक्षा समिति ने अपनी हाल ही में जारी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में वायुसेना के पुराने विमानों और तकनीकी खामियों को भी प्रमुख चिंताओं के रूप में बताया गया है। हालांकि, पिछले वर्षों में दुर्घटनाओं की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले संसद में पेश की गई रक्षा पर स्थायी समिति की रिपोर्ट ने बताया था कि 8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक भीषण हेलिकॉप्टर दुर्घटना में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की मौत भी “मानवीय त्रुटि (एयरक्रू)” की वजह से हुई थी। इस हादसे में उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 12 अन्य सैन्य अधिकारियों की दुखद मृत्यु हो गई।

Air Force accidents: Parliamentary panel report said, 34 Crashes in 5 Years, 19 Due to Human Error

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Air Force accidents: दुर्घटनाओं का सालाना ब्योरा

रिपोर्ट में हादसों का सालवार विवरण दिया गया है, जो इस प्रकार है:

  • 2017–18: 8 हादसे
  • 2018–19: 11 हादसे
  • 2019–20: 3 हादसे
  • 2020–21: 3 हादसे
  • 2021–22: 9 हादसे

2018–19 और 2021–22 के दौरान दुर्घटनाओं में तेज वृद्धि ने सुरक्षा उपायों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इन वर्षों में हुई प्रमुख घटनाओं में दिसंबर 2021 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत की मौत भी शामिल है। यह हादसा Mi-17V5 हेलीकॉप्टर के क्रैश के कारण हुआ था।

Air Force accidents: Parliamentary panel report said, 34 Crashes in 5 Years, 19 Due to Human Error

Air Force accidents: दुर्घटनाओं की वजह

रिपोर्ट के अनुसार, हादसों के पीछे मुख्य रूप से तीन कारण रहे:

  • मानव त्रुटि (एयरक्रू): 19 घटनाएं
  • तकनीकी खामियां: 9 घटनाएं
  • अन्य कारण: पक्षियों से टकराव और बाहरी वस्तुओं से क्षति

विशेषज्ञों ने मानव त्रुटियों के कारण होने वाले हादसों को प्रशिक्षण और उपकरणों की बेहतर निगरानी से रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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प्रमुख विमान और हादसे

रिपोर्ट में मिग-21 को सबसे अधिक दुर्घटनाग्रस्त विमान बताया गया है। इसे अक्सर “उड़ता ताबूत” कहा जाता है। मिग-21 के अलावा, जिन विमानों में हादसे हुए, वे हैं:

  • Mi-17 हेलीकॉप्टर
  • जगुआर लड़ाकू विमान
  • सुखोई-30 एमकेआई
  • सूर्य किरण ट्रेनर जेट

रिपोर्ट में संसदीय समिति ने मिग-21 की उम्र और डिजाइन के कारण इसे चरणबद्ध तरीके से हटाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

सुरक्षा उपायों में सुधार

रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना में दुर्घटनाओं को कम करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इनमें शामिल हैं:

  1. ऑपरेशनल प्रोटोकॉल्स की व्यापक समीक्षा।
  2. पायलट प्रशिक्षण में सुधार।
  3. रखरखाव प्रक्रियाओं को बेहतर बनाना।
  4. जांच रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करना।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि पिछले वर्षों में 10,000 उड़ान घंटों पर दुर्घटनाओं की दर में लगातार गिरावट आई है:

  • 2000–2005: 0.93
  • 2017–2022: 0.27
  • 2020–2024: 0.20

Air Force accidents: पुराने विमान बने चुनौती

वायुसेना के पुराने विमानों, विशेषकर मिग-21, को सेवा से हटाना प्राथमिकता में है। इनके स्थान पर आधुनिक और सुरक्षित विमानों को शामिल करने की आवश्यकता है। मिग-21 की जगह लेने के लिए तेजस जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमान को प्राथमिकता दी जा रही है।

2021 का Mi-17 हादसा

दिसंबर 2021 में हुए Mi-17 हेलीकॉप्टर हादसे का प्रमुख कारण “मौसम में अचानक बदलाव” और पायलट की दिशाभ्रम (स्पैशियल डिसओरिएंटेशन) बताया गया। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि मौसम में अचानक आए बदलाव के कारण हेलिकॉप्टर बादलों में प्रवेश कर गया। इससे पायलट दिशाभ्रम का शिकार हो गए और हेलिकॉप्टर “Controlled Flight Into Terrain” (CFIT) का शिकार हो गया।

जांच टीम ने फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का विश्लेषण करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची। इसके साथ ही टीम ने सभी गवाहों से पूछताछ भी की।

रिपोर्ट में हेलिकॉप्टर के संचालन और रखरखाव पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्या पायलट को ऐसे हालातों से निपटने का समुचित प्रशिक्षण दिया गया था? क्या हेलिकॉप्टर में लगे उपकरण खराब थे, जो मौसम के बदलाव को पायलट को सही समय पर चेतावनी नहीं दे सके? क्या वायुसेना के सुरक्षा प्रोटोकॉल इस हद तक प्रभावी हैं कि इस तरह की त्रासदी को रोका जा सके?

क्या कहा था CAG ने अपनी रिपोर्ट में?

इससे एक दिन पहले ही भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने संसद के सामने रखी गई अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना (IAF) के पायलट प्रशिक्षण में गंभीर खामियों को उजागर किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि हेलिकॉप्टर पायलटों को Mi-17 V5 जैसे पुराने हेलिकॉप्टरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें लेटेस्ट एवियोनिक्स की कमी है।

भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने संसद के सामने रखी गई अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना (IAF) के पायलट प्रशिक्षण में गंभीर खामियों को उजागर किया था। रिपोर्ट में वायुसेना के ‘स्टेज-1’ प्रशिक्षण में इस्तेमाल हो रहे Pilatus PC-7 Mk-II विमान की खामियों को भी बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 64 विमानों में से 16 (25%) में 2013 से 2021 के बीच 38 बार इंजन ऑयल लीक की घटनाएं दर्ज की गईं।

सथ ही, CAG की रिपोर्ट में ‘स्टेज-2’ और ‘स्टेज-3’ पायलट ट्रेनिंग में पुरानी तकनीक और उपकरणों के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए गए। रिपोर्ट में कहा गया कि हेलिकॉप्टर पायलटों को Mi-17 V5 जैसे पुराने हेलिकॉप्टरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें लेटेस्ट एवियोनिक्स की कमी है, जिसके कारण ऑपरेशनल यूनिट्स को अतिरिक्त प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। वहीं, ट्रांसपोर्ट पायलटों को डॉर्नियर-228 जैसे पुराने विमानों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन विमानों में आधुनिक कॉकपिट की सुविधाएं नहीं हैं।

CAG ने वर्चुअल रियलिटी (VR) सिमुलेटर और फ्लाइंग ट्रेनिंग डिवाइस (FTD) की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए। कहा, ये सिमुलेटर केवल प्रोसिजरल ट्रेनिंग देते हैं और रियल टाइम फ्लाइट एक्सपीरियंस का अहसास नहीं कराते।

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