General Bipin Rawat Death: कैसे हुई थी सीडीएस रावत की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत? संसदीय समिति की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 4 months ago

General Bipin Rawat Death: 8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक भीषण हेलिकॉप्टर दुर्घटना में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 12 अन्य सैन्य अधिकारियों की दुखद मृत्यु हो गई। तीन साल बाद, संसद में पेश की गई रक्षा पर स्थायी समिति की रिपोर्ट ने इस दुर्घटना का कारण “मानवीय त्रुटि (एयरक्रू)” को बताया है। बता दें कि इससे एक दिन पहले ही भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने संसद के सामने रखी गई अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना (IAF) के पायलट प्रशिक्षण में गंभीर खामियों को उजागर किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि हेलिकॉप्टर पायलटों को Mi-17 V5 जैसे पुराने हेलिकॉप्टरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें लेटेस्ट एवियोनिक्स की कमी है।

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General Bipin Rawat Death: क्या कहा संसद में पेश रिपोर्ट ने?

हाल ही में संसद में रक्षा मामलों की स्थायी समिति ने इस हादसे पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह हादसा “मानवीय भूल” (Human Error – Aircrew) की वजह से हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 से 2022 तक के ‘तेरहवें रक्षा योजना काल’ के दौरान भारतीय वायुसेना में कुल 34 हादसे हुए। इनमें से नौ हादसे केवल 2021-22 के वित्तीय वर्ष में हुए, और जनरल रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश इन्हीं में से एक था।

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यह पहली बार नहीं है जब “मानवीय भूल” को हादसे का कारण बताया गया हो। 2022 में भी जांच टीम ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में इसी निष्कर्ष की ओर इशारा किया था।

General Bipin Rawat Death: क्या हुआ था उस दिन?

8 दिसंबर 2021 की सुबह, जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 12 अन्य अधिकारी Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर में सवार होकर सुलूर एयरबेस से वेलिंगटन स्थित डिफेंस स्टाफ सर्विस कॉलेज के लिए निकले थे। वेलिंगटन पहुंचने से कुछ ही मिनट पहले हेलिकॉप्टर पहाड़ियों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

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इस हादसे में जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य अधिकारियों की तुरंत मौत हो गई। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह, जो कि शौर्य चक्र विजेता थे, इस हादसे में जीवित बचे लेकिन गंभीर रूप से झुलसने के कारण कुछ दिनों बाद उनका भी निधन हो गया।

जांच टीम की रिपोर्ट में क्या आया सामने?

प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि मौसम में अचानक आए बदलाव के कारण हेलिकॉप्टर बादलों में प्रवेश कर गया। इससे पायलट दिशाभ्रम का शिकार हो गए और हेलिकॉप्टर “Controlled Flight Into Terrain” (CFIT) का शिकार हो गया।

हालांकि, “मानवीय त्रुटि” का ठीकरा फोड़ने से यह सवाल उठता है कि क्या पायलट को पर्याप्त जानकारी और सहायता दी गई थी? क्या विमानन प्रणाली इतनी मजबूत थी कि ऐसे हालातों से निपट सके?

जांच टीम ने फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का विश्लेषण करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची। इसके साथ ही टीम ने सभी गवाहों से पूछताछ भी की।

रिपोर्ट में हेलिकॉप्टर के संचालन और रखरखाव पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्या पायलट को ऐसे हालातों से निपटने का समुचित प्रशिक्षण दिया गया था? क्या हेलिकॉप्टर में लगे उपकरण खराब थे, जो मौसम के बदलाव को पायलट को सही समय पर चेतावनी नहीं दे सके? क्या वायुसेना के सुरक्षा प्रोटोकॉल इस हद तक प्रभावी हैं कि इस तरह की त्रासदी को रोका जा सके?

बता दें कि 2022 में सूत्रों ने बताया था कि पायलट की गलती हेलिकॉप्टर दुर्घटना की मुख्य वजह हो सकती है, जिसमें CDS जनरल बिपिन रावत की मृत्यु हुई। अब, संसदीय समिति की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि दुर्घटना का कारण “मानवीय त्रुटि” थी।

हादसे के बाद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को गंभीर रूप से जलने की स्थिति में वेलिंगटन से बेंगलुरु के एक सैन्य अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया। दुर्भाग्यवश, उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका और वह एक सप्ताह बाद शहीद हो गए।

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस रिपोर्ट को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हादसे के पीछे की खामियों को दूर करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

क्या कहा था CAG ने अपनी रिपोर्ट में?

भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने संसद के सामने रखी गई अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना (IAF) के पायलट प्रशिक्षण में गंभीर खामियों को उजागर किया था। रिपोर्ट में वायुसेना के ‘स्टेज-1’ प्रशिक्षण में इस्तेमाल हो रहे Pilatus PC-7 Mk-II विमान की खामियों को भी बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 64 विमानों में से 16 (25%) में 2013 से 2021 के बीच 38 बार इंजन ऑयल लीक की घटनाएं दर्ज की गईं।

सथ ही, CAG की रिपोर्ट में ‘स्टेज-2’ और ‘स्टेज-3’ पायलट ट्रेनिंग में पुरानी तकनीक और उपकरणों के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए गए। रिपोर्ट में कहा गया कि हेलिकॉप्टर पायलटों को Mi-17 V5 जैसे पुराने हेलिकॉप्टरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें लेटेस्ट एवियोनिक्स की कमी है, जिसके कारण ऑपरेशनल यूनिट्स को अतिरिक्त प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। वहीं, ट्रांसपोर्ट पायलटों को डॉर्नियर-228 जैसे पुराने विमानों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन विमानों में आधुनिक कॉकपिट की सुविधाएं नहीं हैं।

CAG ने वर्चुअल रियलिटी (VR) सिमुलेटर और फ्लाइंग ट्रेनिंग डिवाइस (FTD) की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए। कहा, ये सिमुलेटर केवल प्रोसिजरल ट्रेनिंग देते हैं और रियल टाइम फ्लाइट एक्सपीरियंस का अहसास नहीं कराते।

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