📍नई दिल्ली | 4 months ago
Bangladesh Army Exercise: बांग्लादेश में इन दिनों सैन्य गतिविधियां अचानक तेज हो गई हैं। देश भर में सैन्य अभ्यास और सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन तैनाती से यह सवाल उठ रहा है कि क्या बांग्लादेश अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है या किसी बड़े कदम की तैयारी में है। वहीं, बांग्लादेश सेना ने 17 दिसंबर 2024 से 9 जनवरी 2025 तक देशव्यापी “विंटर एक्सरसाइज” की योजना बनाई है। यह अभ्यास विभिन्न सैन्य डिवीजनों द्वारा उनके संबंधित इलाकों में आयोजित किया जाएगा। इसे सेना की Regular Annual Joint Training Process कहा जा रहा है, लेकिन इसकी व्यापकता और समय को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
Bangladesh Army exercise: दिखाया एयर डिफेंस प्लान
हाल ही में बांग्लादेश सेना ने अपने लेयर-बेस्ड एयर डिफेंस प्लान का प्रदर्शन किया। इसमें दिखाया कि शॉर्ट रेंज के लिए सेना रडार गाइडेड एयर डिफेंस गन और VSHORAD का इस्तेमाल करेगी, इसके बाद FM-90C SHORAD सिस्टम का प्रयोग किया जाएगा। मीडियम रेंज के लिए बांग्लादेश सेना FM-3000 और LY-80D SAM सिस्टम (रेंज 25-70 किमी) को शामिल करेगी। इसके अलावा, लॉन्ग रेंज के लिए FK-3 मिसाइल सिस्टम (रेंज 100 किमी) को तैनात किया जाएगा।
तुर्की से Bayraktar TB2 UAV की खरीद
बांग्लादेश ने हाल ही में तुर्की से Bayraktar TB2 ड्रोन खरीदे हैं और उन्हें पश्चिम बंगाल सीमा के पास तैनात किया है। यह ड्रोन मॉर्डन मिलिट्री ऑपरेशन्स में गेम चेंजर माना जाता है। ड्रोन तकनीक का यह उपयोग बांग्लादेश की सैन्य ताकत को न केवल उन्नत करता है, बल्कि क्षेत्रीय तनाव को भी बढ़ाता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश एयरफोर्स तुर्की के Bayraktar Akinchi UCAV को भी खरीदने पर विचार कर रही है। वर्तमान में बांग्लादेश एयरफोर्स के पास इटली से खरीदा गया Selex Falco Astore UAV भी है, लेकिन इसकी आक्रामक क्षमताएं सीमित हैं। Akinchi ड्रोन की तैनाती बांग्लादेश को बाहरी खतरों से अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा करने में बड़ी मदद कर सकती है।
वहीं, पश्चिम बंगाल की सीमा के पास बांग्लादेश सशस्त्र बलों द्वारा तुर्की के बायरकटर टीबी2 ड्रोन (यूएवी) की तैनाती ने चिंता बढ़ा दी है। बांग्लादेश सशस्त्र बलों ने इस साल की शुरुआत में 12 बायरकटर टीबी2 ड्रोन में से छह हासिल किए। ये ड्रोन मुख्य रूप से खुफिया, निगरानी और टोही मिशनों के साथ-साथ हल्के हमले के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन ड्रोन का उपयोग बांग्लादेश की रक्षा क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल सीमा के पास तैनात Bayraktar TB2 ड्रोन ने भारत में भी चिंता बढ़ा दी है। जबकि बांग्लादेश इन ड्रोन का उपयोग अपनी सुरक्षा और निगरानी के लिए करता है, लेकिन यह भारत जैसे पड़ोसी देश के लिए चिंता की बात है। क्षेत्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश का यह कदम भारत के लिए नई चुनौतियां पैदा कर सकता है।
16 दिसंबर को विजय दिवस
16 दिसंबर का दिन भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में विशेष महत्व रखता है। 1971 में इसी दिन भारतीय सेना ने ढाका में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया था। इस युद्ध ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जन्म दिया। 16 दिसंबर को बांग्लादेशी सेना ने अपनी आजादी का जश्न मनाया। इस जश्न को मनाने के लिए 1971 की जंग में शामिल हो चुके कुछ बांग्लादेशी सेना के वेटरंस भी भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड की तरफ से आयोजित समारोह में भी शामिल हुए।
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In a nostalgic meeting between Bangladesh delegation led by Brig Gen Md Aminur Rahman and Indian war veterans, old memories of the glorious 1971 Liberation War were relived. The war veterans were… pic.twitter.com/myWoURZHIt
— EasternCommand_IA (@easterncomd) December 16, 2024
लेकिन 54 साल बाद, बांग्लादेश एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ने और देश छोड़कर जाने के लिए मजबूर किया गया है। इसके साथ ही, म्यांमार-बांग्लादेश सीमा पर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है।
अराकान आर्मी का उभार और बांग्लादेश की सीमाओं पर संकट
वहीं, म्यांमार के विद्रोही गुट अराकान आर्मी (AA) ने बांग्लादेश के टेकनाफ क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। यह इलाका न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों और सेंट मार्टिन द्वीप के करीब होने के कारण अत्यधिक संवेदनशील भी है।
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, अराकान आर्मी और बांग्लादेशी बलों के बीच कई बार गोलीबारी हुई है। हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
अराकान आर्मी की बढ़ती ताकत
अराकान आर्मी ने म्यांमार के रखाइन प्रांत के बड़े हिस्सों पर कब्जा कर लिया है और अब उनकी नजर बांग्लादेश की सीमा के सामरिक क्षेत्रों पर है। माना जा रहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप और अन्य रणनीतिक इलाकों पर कब्जा करने के लिए अराकान आर्मी बांग्लादेश की कमजोर सीमाओं का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
मनीष झा की एक रिपोर्ट के अनुसार, अराकान आर्मी की रणनीति बेहद आक्रामक हो गई है। मोंगडॉ और अन्य क्षेत्रों में सफलता के बाद, वे अब बांग्लादेश की सीमाओं पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में हैं।
क्या बांग्लादेश की सुरक्षा रणनीति पर्याप्त है?
बांग्लादेश का एयर डिफेंस सिस्टम और ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन यह दिखाता है कि बांग्लादेश अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर है। लेकिन क्या यह अराकान आर्मी और अन्य खतरों से निपटने के लिए पर्याप्त होगा? विशेषज्ञ मानते हैं कि सीमावर्ती इलाकों में अराकान आर्मी की गतिविधियां और देश के भीतर सैन्य अभ्यास, दोनों बांग्लादेश की सुरक्षा नीति के अहम संकेतक हैं।
बांग्लादेश में जारी सैन्य गतिविधियां और सीमावर्ती तनाव इस ओर इशारा करते हैं कि देश एक अस्थिर दौर से गुजर रहा है। ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल और नई वायु रक्षा प्रणाली की तैनाती इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश अपनी सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव कर रहा है।
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