📍नई दिल्ली | 4 months ago
India-Azerbaijan: भारत और अज़रबैजान के संबंधों में हाल ही में एक दिलचस्प मोड़ आया है। अज़रबैजान का अपने पड़ोसी और प्रतिद्वंद्वी देश आर्मेनिया के साथ लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। वहीं सूत्रों के मुताबिक हाल ही में अजरबैजान ने मध्य पूर्व के एक दोस्ताना देश के जरिए भारत को हथियार बेचने का प्रस्ताव दिया। लेकिन भारत ने अजरबैजान की इस पेशकश पर ध्यान नहीं दिया और उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। बता दें कि भारत की तरफ से आर्मेनिया को हथियार बेचे जाने के बाद अजरबैजान सार्वजनिक तौर पर भारतीय हथियारों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए आलोचना की थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि ये हथियार सैन्य संतुलन पर कोई खास असर नहीं डालते और अजरबैजान आसानी से इनका मुकाबला कर सकता है।
India-Azerbaijan: भारत का स्पष्ट रुख
सूत्रों के मुताबिक, अज़रबैजान ने सीधे तौर पर भारत से यह प्रस्ताव नहीं रखा। इसके बजाय, एक तीसरे मित्र देश के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि अगर भारत अपने स्वदेशी हथियारों को निर्यात करने के लिए एक दीर्घकालिक साझेदार की तलाश में है, तो वह अज़रबैजान को सहयोगी बना सकता है। अजरबैजान ने विशेष रूप से भारतीय निर्मित तोपों और गोलों में रुचि दिखाई है। यह रुचि पाकिस्तान से JF-17 ब्लॉक III फाइटर जेट्स की हालिया खरीदारी के बावजूद आई है।
हालांकि, भारत ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और स्पष्ट कर दिया कि उसके द्विपक्षीय संबंधों और प्राथमिकताओं को तय करने में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं हो सकती।
India-Azerbaijan: आर्मेनिया के साथ भारत के मजबूत रक्षा संबंध
आर्मेनिया ने हाल के वर्षों में अपने सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिए भारत से बड़ी मात्रा में हथियार और रक्षा प्रणालियां खरीदी हैं। इनमें रॉकेट लॉन्चर, तोपखाने, गोला-बारूद, स्नाइपर राइफलें और एंटी-टैंक मिसाइलें शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, आर्मेनिया भारत से एस्ट्रा मिसाइलें खरीदने की संभावना पर भी विचार कर रहा है ताकि अपने सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान बेड़े को मजबूत किया जा सके।
भारत के लिए आर्मेनिया सिर्फ एक रक्षा साझेदार नहीं है, बल्कि इसे क्षेत्र में एक राजनीतिक सहयोगी भी माना जाता है। आर्मेनिया ने जम्मू-कश्मीर पर भारत के रुख का हमेशा समर्थन किया है, जिससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए हैं।
अजरबैजान के तुर्किये और पाकिस्तान से गहरे रिश्ते
इसके विपरीत, अज़रबैजान तुर्किये और पाकिस्तान के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के लिए जाना जाता है। 2017 से, इन तीन देशों ने अपने त्रिपक्षीय सहयोग को गहरा करने के प्रयास किए हैं। हाल ही में 2023 में, अज़रबैजान ने जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के रुख का भी समर्थन किया।
वहीं अजरबैजान अपनी रक्षा जरूरतों के लिए तुर्की और इज़राइल पर निर्भर किया है, जहां तुर्की एडवांस ड्रोन और UAV तकनीक देता है तो इज़राइल विभिन्न प्रकार के हथियार प्रणाली आपूर्ति करता है। हालांकि, हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, जिसमें इज़राइल का गाजा में उलझना जिसके चलते हथियारों के निर्यात में कमी आना, जैसी वजहों ने अजरबैजान को सैन्य उपकरणों की खरीदारी के लिए दूसरे बाजार की तरफ रुख करने के लिए मजबूर कया है।
नागोर्नो-कराबाख विवाद
अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच संघर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद शुरू हुआ। नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र में रहने वाले जातीय आर्मेनियाई लोगों ने खुद को “आर्टसाख गणराज्य” घोषित किया, जिसे दुनिया के किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी, यहां तक कि खुद आर्मेनिया ने भी नहीं।
इस विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच दो बड़े युद्ध हो चुके हैं। 2020 के संघर्ष में अज़रबैजान ने तुर्किये से खरीदे गए ड्रोन और अन्य अत्याधुनिक हथियारों का जमकर इस्तेमाल किया। सितंबर 2023 में, अज़रबैजान ने एक सैन्य अभियान के जरिए नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र पर फिर से कब्जा कर लिया।
आर्थिक और व्यापारिक संबंध: अज़रबैजान बनाम आर्मेनिया
राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों के इतर, अज़रबैजान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। 2023 में, दोनों देशों के बीच व्यापार 1.435 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो दक्षिण काकेशस क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा आर्थिक संबंध है।
भारत अज़रबैजान का सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और अज़रबैजान के कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है। भारतीय तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) की सहायक कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (OVL) ने हाल ही में अज़रबैजान के तेल क्षेत्रों और पाइपलाइनों में अपना निवेश बढ़ाया है।
इसके विपरीत, 2023 में भारत और आर्मेनिया के बीच व्यापार मात्र 134 मिलियन डॉलर था, जो अज़रबैजान के साथ व्यापार की तुलना में दसवें हिस्से के करीब है।
अज़रबैजान में भारतीय पर्यटकों की बढ़ती संख्या
अज़रबैजान भारतीय पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है। 2023 में, लगभग 1,17,000 भारतीयों ने अज़रबैजान का दौरा किया। 2024 के पहले 10 महीनों में यह संख्या बढ़कर 2,01,000 हो गई।
इस बढ़ती लोकप्रियता के पीछे वीजा नियमों में ढील और भारत से अज़रबैजान के लिए सीधी उड़ानों की उपलब्धता है। वर्तमान में, दिल्ली और मुंबई से बाकू के लिए हर हफ्ते 14 सीधी उड़ानें संचालित होती हैं। इसके विपरीत, भारत और आर्मेनिया के बीच कोई सीधी उड़ान उपलब्ध नहीं है।
भारत ने अज़रबैजान के हथियार खरीदने के प्रस्ताव को नजरअंदाज कर यह संदेश दिया है कि वह अपनी विदेश नीति और रक्षा साझेदारियों को लेकर सतर्क और स्वतंत्र है। आर्मेनिया के साथ भारत के बढ़ते संबंध न केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित हैं, बल्कि यह एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की ओर भी इशारा करते हैं। फ्रांस और ग्रीस जैसे देशों के साथ आर्मेनिया का सहयोग भारत के लिए क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।