NSA China Visit: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल जाएंगे चीन, LAC पर सीमा विवाद सुलझाने के लिए अहम वार्ता

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 4 months ago

NSA China Visit: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल 17-18 दिसंबर को चीन का दौरा करेंगे, जहां वे चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष प्रतिनिधि स्तर (SR) की महत्वपूर्ण वार्ता करेंगे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य भारत-चीन सीमा पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर चल रही तनावपूर्ण स्थिति को सुलझाना है। यह बैठक भारत-चीन के बीच SR स्तर की वार्ता फिर से शुरू होने की शुरुआत है, जिसकी सहमति प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कज़ान बैठक के दौरान हुई थी। यह वार्ता 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पहली बार हो रही है, और पिछले पांच वर्षों में पहली ऐसी बैठक होगी।

NSA China Visit: Ajit Doval to Visit China for Key LAC Border Talks

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अजीत डोवाल का यह दौरा चीन और भारत के बीच LAC पर सीमा की स्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे पहले अक्टूबर में दोनों देशों के बीच पैट्रोलिंग और सीमा पर प्रबंधन के लिए एक समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने LAC पर शांति बनाए रखने के लिए कुछ नए कदम उठाने पर सहमति जताई थी।

NSA China Visit: 2020 से लगातार बढ़ रहा था तनाव

भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव 2020 से बढ़ने लगा था, जब चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी थीं। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें कई सैनिकों की जान गई थी। गलवान घाटी में हुई इस घटना के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई और सीमा पर सैन्य गतिरोध गहरा गया।

2019 में आखिरी बार विशेष प्रतिनिधि स्तर पर वार्ता हुई थी, जब अजीत डोवाल ने भारतीय पक्ष का नेतृत्व किया था और वांग यी ने चीनी पक्ष का। उस समय दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर सहमति बनी थी, लेकिन इसके बाद सीमा पर तनाव बढ़ने लगा था।

विशेष प्रतिनिधि वार्ता का उद्देश्य

इस बार की विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता का मुख्य उद्देश्य LAC की सीमाओं को और स्पष्ट करना है। सूत्रों के अनुसार, यह वार्ता LAC पर वर्तमान स्थिति के विस्तार और साफ-साफ पहचान पर केंद्रित होगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच किसी भी तरह की गलतफहमी या टकराव की स्थिति न बने। इसके अलावा, बातचीत का लक्ष्य भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक स्थिर और दीर्घकालिक समाधान ढूंढना भी है।

यह बैठक दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने और विश्वास बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके परिणामस्वरूप, दोनों देशों के उच्च अधिकारियों के बीच अगले कोर कमांडर-स्तरीय बैठक की तारीख तय हो सकती है, जो सीमा पर पैट्रोलिंग और बफर जोन के मुद्दों पर केंद्रित होगी।

भारत-चीन के बीच बढ़ी कूटनीतिक बातचीत

इससे पहले, 3 दिसंबर को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यह बयान दिया था कि भारत चीन के साथ द्विपक्षीय संवादों के माध्यम से सीमा विवाद को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि दोनों देशों के बीच एक ऐसा समझौता हो, जो न्यायपूर्ण, उचित और आपसी स्वीकृति पर आधारित हो। भारत ने यह भी साफ किया है कि वह किसी भी स्थिति में सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए चीन के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।

भारत और चीन के बीच 2020 से अब तक कई सैन्य और कूटनीतिक प्रयास किए गए हैं, ताकि LAC पर तनाव को कम किया जा सके। इनमें दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की बैठकों के अलावा, विभिन्न स्तरों पर कूटनीतिक वार्ताएं भी शामिल हैं। अब, अजीत डोवाल का यह आगामी दौरा दोनों देशों के लिए सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर है।

आने वाले समय में क्या हो सकता है?

विशेष प्रतिनिधि वार्ता के बाद, दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक बातचीत का एक नया दौर शुरू हो सकता है। इस बातचीत में न केवल सीमा पर विवादों को हल करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास को फिर से स्थापित करने की भी कोशिश की जाएगी। इसके अलावा, यह वार्ता चीन और भारत के रिश्तों में एक नया अध्याय लिखने का मौका भी हो सकती है।

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए यह वार्ता एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि इससे दोनों देशों के रिश्तों में सुधार हो सकता है और सीमा पर शांति बनी रह सकती है। यह वार्ता भारतीय सैनिकों और नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।

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