📍नई दिल्ली | 5 months ago
Honorary Ranks in the Indian Army: सेना में अनुशासन, सीनियरिटी और सम्मान का महत्व सर्वोपरि है। लेकिन जब किसी जूनियर कमीशंड अधिकारी (JCO) को ऑनरी रैंक (जैसे ऑनरी लेफ्टिनेंट या कैप्टन) से सम्मानित किया जाता है, तो सीनियरिटी और हालात को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। अक्सर देखा जाता है कि परेड या अन्य औपचारिक आयोजनों में उनकी भूमिका क्या होगी? क्या उन्हें अन्य अधिकारियों के समान अतिरिक्त अधिकार मिलेंगे? इन सवालों को लेकर सेना में अक्सर भ्रम और असमंजस की स्थिति बनी रहती है। जानिए ऐसे मामलों में सेना का क्या रुख रहता है। आइए जानने की कोशिश करते हैं…
ऑनरी रैंक का महत्व और विवाद
सेना में ऑनरी रैंक का उद्देश्य किसी अधिकारी की लंबी सेवा और विशिष्ट योगदान को सम्मानित करना है। यह रैंक आमतौर पर 26 जनवरी या 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय उत्सवों पर प्रदान की जाती है। हालांकि, यह रैंक सीनियरिटी में बदलाव नहीं करती और न ही इसे किसी विशेष कमांड अथवा अधिकारों का प्रतीक माना जाता है।
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी सूबेदार को ऑनरी कैप्टन की रैंक प्रदान की गई है, तो उसकी मूल सीनियरिटी वही रहेगी, जो उसकी जेसीओ रैंक में थी। भले ही उनके कंधे पर कैप्टन के बैज लगे हों, लेकिन वह अपने से सीनियर सूबेदार मेजर या अन्य अधिकारियों को सम्मानपूर्वक सलामी देंगे।
अक्सर पूछे जाते हैं ये सवाल?
ऑनरी रैंक प्राप्त करने वाले अधिकारियों को कई बार ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जहां उनके कंधे पर लगे रैंक और उनके मौजूदा पद के बीच विरोधाभास उत्पन्न हो जाता है। उदाहरण के लिए:
- क्या ऑनरी कैप्टन बने अधिकारी को सूबेदार मेजर को सलूट करना होगा या सूबेदार मेजर उन्हें?
- परेड या अन्य औपचारिक आयोजनों में उनकी भूमिका क्या होगी?
- क्या उन्हें अन्य अधिकारियों के समान अतिरिक्त अधिकार मिलेंगे?
इन सवालों को लेकर सेना में अक्सर भ्रम और असमंजस की स्थिति बनी रहती है।
रक्षा मंत्रालय की स्पष्टीकरण
इस भ्रम को दूर करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 3 अगस्त 2023 को एक स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किया। इस पत्र के मुताबिक जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, वह इस प्रकार हैं:
- सीनियरिटी में कोई बदलाव नहीं होगा:
ऑनरी रैंक से संबंधित अधिकारी की वास्तविक सीनियरिटी वही रहेगी, जो उनकी मूल जेसीओ रैंक में थी। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी सूबेदार को ऑनरी कैप्टन बनाया गया है, तो वह अपने सीनियर सूबेदार मेजर को ही रिपोर्ट करेंगे। - अतिरिक्त अधिकार नहीं दिए जाएंगे:
ऑनरी रैंक केवल एक प्रतीकात्मक सम्मान है और इसे किसी अतिरिक्त अधिकार या कमांड का प्रतिनिधित्व नहीं माना जाएगा। - पेंशन और वित्तीय लाभ:
ऑनरी रैंक से अधिकारी को पेंशन और वेतनमान में बढ़ोतरी का फायदा मिलता है। यह रैंक उनके वित्तीय हितों को मजबूत करने के लिए प्रदान की जाती है।
परेड और औपचारिक आयोजनों में भूमिका
परेड जैसे आयोजनों में कई बार भ्रम की स्थिति पैदा होती है, जब एक ऑनरी कैप्टन को सूबेदार मेजर के समक्ष रिपोर्ट करनी होती है। ऐसे में दिशानिर्देश साफ करते हैं कि रैंक के बैज के बावजूद, परेड में उनकी स्थिति उनकी मूल रैंक के अनुसार ही होगी।
रक्षा मंत्रालय ने सेना के सभी यूनिट्स को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इस विषय पर सभी अधिकारियों और जवानों को स्पष्ट जानकारी दी जाए। ऐसा करने से अनावश्यक विवाद और शिकायतों को रोका जा सकेगा।
सम्मान और सादगी का प्रतीक
ऑनरी रैंक सेना की परंपरा और अनुशासन का हिस्सा है। यह न केवल सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि सेना हर अधिकारी और जवान की सेना में योगदान की कद्र करती है। हालांकि, इस रैंक से जुड़े भ्रम और सवालों को रक्षा मंत्रालय ने अपने स्पष्ट दिशानिर्देशों से सुलझा दिया है। सेना के लिए यह आवश्यक है कि सम्मान और सीनियरिटी के इस संतुलन को बनाए रखा जाए। ऑनरी रैंक प्राप्त करना न केवल एक अधिकारी के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह उनकी वर्षों की सेवा और समर्पण का सम्मान भी है।