📍नई दिल्ली | 5 months ago
India-China Disengagement: पूर्वी लद्दाख के देपसांग प्लेंस से चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की वापसी भारतीय सेना और देश के लिए एक राहत की खबर है। राकी नाला से PLA की वापसी 21 अक्टूबर, 2024 को हुए भारत-चीन पेट्रोलिंग समझौते का हिस्सा है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने तनावग्रस्त इलाकों से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही थी। वहीं, अब राकी नाला और बुर्त्सा नाला जैसे विवादित इलाकों में गश्त फिर से शुरू हो गई है।

PLA ने बनाईं दो अस्थायी पोस्ट
वहीं, रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन की पीएलए सेना ने उन क्षेत्रों से अपनी अस्थायी पोस्ट और ऑपरेशनल ट्रैक्स को हटा लिया है, जो पहले भारतीय पेट्रोलिंग रूट्स का हिस्सा थे। इस समझौते के तहत चीनी सेना ने सब सेक्टर नॉर्थ में श्योक नदी के पास स्थित राकी नाला घाटी और बॉटलनेक, वाई-जंक्शन 1 और वाई-जंक्शन 2 के पास से अपनी अस्थायी चौकियां और इंफ्रास्ट्रक्चर को हटा लिया है। वहीं, PLA ने दो अस्थायी पोस्ट को नई जगहों पर स्थानांतरित किया है, एक पोस्ट राकी नाला के स्रोत के पास वाई-जंक्शन से लगभग 7 मील उत्तर-उत्तर-पूर्व में और दूसरी पूर्व दिशा में ऊपरी बुर्त्सा नाला घाटी में बनाई है। इन नई चौकियों को ऑपरेशनल ट्रैक्स से जोड़ा गया है। हालांकि यह कदम सकारात्मक माना जा रहा है, लेकिन इससे कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
क्या PLA ने LAC पार की?
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह स्पष्ट नहीं है कि PLA ने पूरी तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बाहर के इलाकों से अपनी मौजूदगी हटा ली है। इसके अलावा, “नो-डिप्लॉयमेंट ज़ोन” के भीतर उनके तंबुओं और पोस्ट की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि सैटेलाइट इमेजरी में इन पोस्ट्स की स्थिति स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई दे रही है।
गश्त तो बहाल हुई, लेकिन सीमित
हालांकि भारतीय सेना ने देपसांग क्षेत्र में पेट्रोलिंग को तो फिर से शुरू कर दिया है, लेकिन यह केवल कुछ निश्चित क्षेत्रों तक ही सीमित है। पेट्रोलिंग पॉइंट्स (PP) 10-13 जैसी जगहों पर भारतीय सैनिक 2020 के पहले रेगुलर पेट्रोलिंग पर जाते थे, वे अब चीनी सड़कों और पोस्ट्स के करीब हैं। इससे भारतीय सेना की पेट्रोलिंग को लेकर चुनौतियां बढ़ गई हैं। सैन्य सूत्रों का मानना है कि चीनी सेना ने इन रूट्स पर भारतीय पेट्रोलिंग की पहुंच को सीमित करने के लिए रणनीतिक रूप से अपनी तैनाती को पुनर्गठित किया है। उनका कहना है कि कई पुराने पेट्रोलिंग पॉइंट्स अब चीनी सड़कों और पोस्ट्स के करीब हैं, जो 2010-2013 के बीच बनाए गए थे।

राकी नाला और वाई-जंक्शन की स्थिति
राकी नाला घाटी में गश्त शुरू हो गई है, लेकिन बॉटलनेक और वाई-जंक्शन क्षेत्रों में स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि PLA ने इन स्थानों पर अपनी मौजूदगी को “नो डिप्लॉयमेंट ज़ोन” के भीतर स्थानांतरित कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक बुर्त्सा नाला और राकी नाला के बीच चीनी सेना के नए ट्रैक्स और अस्थायी चौकियों ने भारतीय सेना के लिए चुनौती बढ़ा दी हैं। उनका कहना है कि यह चीन की रणनीति हो सकती है, ताकि इन इलाकों में उसकी मौजूदगी बरकरार रहे।
डी-एस्केलेशन और डी-इंडक्शन की प्रक्रिया
डिसइंगेजमेंट के बाद, डी-एस्केलेशन और डी-इंडक्शन को लेकर बातचीत जारी है। ये कदम सीमा पर तनाव कम करने के लिए आवश्यक हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह तभी संभव है जब दोनों पक्ष पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ समझौते का पालन करें। उनका कहना है कि चीनी सेना की नई चौकियां और ट्रैक्स भारतीय सेना के पेट्रोलिंग रूट्स में बाधा पैदा कर सकते हैं। आने वाले महीनों में यह देखना होगा कि यहां स्थिति कैसी रहती है।
हालांकि देपसांग प्लेंस से PLA की वापसी एक सकारात्मक पहल है, लेकिन भारतीय सेना और सरकार के सामने अभी भी कई चुनौतियां बरकरार हैं। पेट्रोलिंग रूट्स की बहाली, पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करना न केवल सीमा विवाद के समाधान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए भी जरूरी है। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों को ठोस और पारदर्शी प्रयास करने होंगे। व्यापार और आपसी सहयोग के लिए यह जरूरी है कि दोनों देश संघर्ष के हालात से दूर रहें और शांतिपूर्वक समझौते का पालन करें।