📍नई दिल्ली | 5 months ago
Defense Manufacturing: सप्त शक्ति कमांड जयपुर के ज्ञान शक्ति थिंक टैंक (जीएसटीटी) द्वारा “रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता: राजस्थान में अवसर” विषय पर एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के सहयोग से 11 नवंबर 2024 को जयपुर मिलिट्री स्टेशन में हुआ।
इस अवसर पर राजस्थान के माननीय उद्योग और वाणिज्य, आईटी और संचार मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, और फिक्की के सह-अध्यक्ष श्री अंकित मेहता प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सप्त शक्ति कमांड के आर्मी कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने इस सेमिनार को संबोधित किया।
ज्ञान शक्ति थिंक टैंक (जीएसटीटी) का उद्देश्य और योगदान
ज्ञान शक्ति थिंक टैंक (जीएसटीटी) एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसे सप्त शक्ति कमांड ने बौद्धिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और रक्षा संबंधित चर्चाओं, राष्ट्रीय सुरक्षा, और रणनीतिक दृष्टिकोणों को विकसित करने के लिए स्थापित किया है। यह मंच पूर्व सैनिकों, विद्वानों, शिक्षाविदों, सरकार और उद्योग के प्रयासों को समन्वित करने का कार्य करता है, ताकि देश की सुरक्षा और विकास को बढ़ावा मिल सके।
रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में राजस्थान की भूमिका
सेमिनार का मुख्य उद्देश्य था राजस्थान राज्य की रक्षा मैन्युफैक्चरिंग पारिस्थितिकी तंत्र में संभावनाओं की पहचान करना और इस दिशा में सभी हितधारकों को एकजुट करना। फिक्की के सहयोग से यह सेमिनार राजस्थान को रक्षा विनिर्माण, रखरखाव और मरम्मत केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए एक मंच प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने अपने संबोधन में जीएसटीटी की स्थापना और इसे राज्य में रक्षा अनुसंधान एवं विकास के लिए एक अहम कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रयास से राजस्थान में रक्षा क्षेत्र का विकास होगा और राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। साथ ही, उन्होंने राज्य में रक्षा हब स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इससे आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
राजस्थान में रक्षा क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाएं
सप्त शक्ति कमांड के आर्मी कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने अपने संबोधन में राजस्थान की सामरिक और भौगोलिक स्थिति की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “राजस्थान के पास पश्चिमी सीमा, अच्छी सड़क, रेल और हवाई संपर्क तथा पर्याप्त भूसंपदा जैसी विशेषताएँ हैं, जो इसे रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उपयुक्त बनाती हैं।” साथ ही, उन्होंने राज्य में एमएसएमई की भूमिका को और अधिक मजबूत करने और औद्योगिक क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर किया।
मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप सेमिनार
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने यह भी कहा कि यह सेमिनार मुख्यमंत्री के “राइजिंग राजस्थान” दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसके तहत राज्य को 2029 तक 350 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
उद्योगों और एमएसएमई की भागीदारी
इस सेमिनार में 29 से अधिक उद्योगों और एमएसएमई ने भाग लिया और रक्षा क्षेत्र में विभिन्न क्षमताओं और पहलों को प्रदर्शित करते हुए 23 स्टॉल लगाए गए। इससे यह साबित होता है कि राजस्थान रक्षा मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, और राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
“रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता: राजस्थान में अवसर” सेमिनार ने राज्य के रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक नई दिशा दिखाई है। इस आयोजन ने न केवल राज्य के विकास में रक्षा क्षेत्र की भूमिका को स्पष्ट किया, बल्कि राजस्थान को रक्षा हब बनाने के लिए आवश्यक कदमों को भी उजागर किया।